न्यायाधीश अरूण मोंगा ने याचिकाकर्ता अश्विनी व अन्य की याचिका पर यह आदेश दिया। प्रार्थीपक्ष की ओर से अधिवक्ता यशपाल खिलेरी ने कहा कि याचिकाकर्ताओं की मां भंवरी देवी महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता (एएनएम) पद पर कार्यरत थी। सितंबर 2011 में भंवरी देवी की अपहरण के बाद हत्या कर दी गई। सीबीआई ने इस मामले में तत्कालीन राज्य सरकार के केबिनेट मंत्री व तत्कालीन विधायक सहित 13 आरोपियों को गिरफ्तार किया। जांच एजेंसी ने मृतका के पति अमरचंद को भी आरोपी माना। विभाग ने भंवरी की मृत्यु 1 सितंबर, 2011 को होना मानते हुए उसके पुत्र साहिल को अनुकंपा नियुक्ति दे दी, लेकिन मृतका के बकाया सेवा परिलाभ, नियमित पेंशन और सेवानिवृत्ति परिलाभ का भुगतान मृत्यु प्रमाण पत्र नहीं होने का कारण रोक दिया था।
राजस्थान हाईकोर्ट के न्यायाधीश अरूण मोंगा ने कहा कि तहसीलदार, पीपाड़ सिटी ने मृत्यु और दाह संस्कार क्षेत्राधिकार में नहीं होना बताते हुए मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने से इनकार कर दिया था। पीठ ने मृतका के समस्त बकाया सेवा परिलाभ, देय पेंशन एवं अन्य समस्त सेवानिवृत्ति परिलाभ की गणना कर बच्चों को उसका चार माह में भुगतान करने का आदेश दिया। परिलाभ पर बकाया होने की तिथि से सेवा नियमों के अनुसार ब्याज भी देय होगा।
2011 में भंवरी देवी गायब हो गई थी। बाद में पता लगा कि उसकी हत्या कर दी गई है। बाद में शव जला कर उसकी राख को राजीव गांधी नहर में बहा दिया गया। इस मामले में राजस्थान के पूर्व कैबिनेट मंत्री महिपाल मदेरणा और कांग्रेस विधायक मलखान सिंह विश्नोई पर हत्या का आरोप लगा। बाद में इस मामले ने तूल पकड़ा और जांच का काम सीबीआई को दिया गया।