जोधपुर

MILLET–बाजरा अन्नदाताओं का ‘सोनाÓ लेकिन प्रदेश में नहीं अनुसंधान संस्थान

– क्षेत्रफल व उत्पादन की दृष्टि से देश में राजस्थान प्रथम
– जिले को मिले अनुसंधान संस्थान की सौगात तो पश्चिमी राजस्थान के किसानों को हो सकता है बड़ा फ ायदा
– प्रदेश में सबसे ज्यादा उत्पादन पश्चिमी राजस्थान में

जोधपुरDec 19, 2020 / 08:29 pm

Amit Dave

MILLET–बाजरा अन्नदाताओं का ‘सोनाÓ लेकिन प्रदेश में नहीं अनुसंधान संस्थान

जोधपुर।
राजस्थान के अन्नदाताओं के लिए सोना या आजीविका का प्रमुख फ सल बाजरा का राजस्थान में कोई अनुसंधान संस्थान नहीं है। क्षेत्रफल व उत्पादन की दृष्टि से देश में पहला स्थान होने के बावजूद भी राजस्थान में राष्ट्रीय स्तर का अनुसंधान नहीं होने से यहां के किसानों को बाजरा उत्पादन में फायदा नहीं मिल रहा है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की ओर से जोधपुर में केवल अखिल भारतीय समन्वित बाजरा अनुसंधान परियोजना (पीसी यूनिट) है, जिसके अधीन देशभर में 13 केन्द्र कार्य कर रहे है। देशभर में बाजरा पर हो रहे अनुसंधान, नई किस्मों का निर्धारण आदि जोधपुर से हो रहा है।भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की विभिन्न समितियों ने जोधपुर में संस्थान बनाने के लिए अनुशंसा कर रखी है। जिस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है।
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देश में भेड़-बकरी संस्थान, बाजरा का ही नहीं

भारत सरकार, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद व विभिन्न राज्य सरकारों की ओर से अन्य अनाज, दलहन व पशुओं के अनुसंधान संस्थान है। बाजरा के बहुआयामी प्रायोगिक संस्थान नहीं होने के कारण बाजरा उत्पादक किसानों को लाभ नहीं मिल पा रहा है। देश में मक्का, धान, गन्ना, गेहूं, जई, मसालें, आलू, तंबाकू, कपास,भेड़, बकरी, घोड़ा आदि संस्थान है। अन्य संस्थानों की तरह बाजरे का अलग से अनुसंधान संस्थान बने तो न केवल राजस्थान बल्कि बाजरा उत्पादक हरियाणा, उत्तर प्रदेश व मध्यप्रदेश के किसानों को भी फायदा होगा।
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कुल उत्पादन का 42 प्रतिशत उत्पादन राजस्थान में

देश में कुल 9.8 मिलियन हैक्टेयर क्षेत्रफ ल में बाजरा बोया जाता है। जिसका उत्पादन करीब 9.4 मिलियन टन है। इसमें अकेले राजस्थान में 3.75 मिलियन टन उत्पादन होता है जो देश का करीब 42 प्रतिशत हिस्सा है। राजस्थान में करीब 4.15 मिलियन हैक्टेयर में बाजरा बोया जाता है, जो पूरे देश का करीब 56 प्रतिशत क्षेत्रफ ल में है।
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नकली बीज विक्रेताओं के चंगुल में नहीं फंसेगा

किसान प्रगतिशील किसान तुलछराम सिंवर ने बताया कि अलग से अनुसंधान संस्थान बने तो अधिक उत्पादकता वाली किस्में विकसित होगी। संस्थान का प्रमाणित बीज किसानों को आसानी से उपलब्ध हो सकेगा। इससे किसान नकली बीज विक्रेताओं के चंगुल में नहीं फंसेगा।

बाजरा के उत्पादन को देखते हुए यहां अनुसंधान संस्थान होना चाहिए, लेकिन यह निर्णय भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद करेगा। हम देशभर में बाजरा पर हो रहे अनुसंधान का डाटा यहां पर एकत्रित कर परिषद को भेजते है।
डॉ सी तारा सत्यवती, प्रोजेक्ट कॉर्डिनेटर

अखिल भारतीय समन्वित बाजरा अनुसंधान परियोजना जोधपुर

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