अजमेर में चलाता था तांगाजी हां आसाराम बाबू ने करीब 2 साल तक अपने तांगे से लोगों को
अजमेर शरीफ दरगाह कि यात्रा करवाई हैं। इतना ही नहीं आसाराम बापू तांगा के साथ चाय भी बेचा करते थे, और अपने परिवार का खर्चा उठाते थे। खबरों के मुताबिक उनके पिता लकड़ी के कारोबारी थे। आसाराम का रियल नाम असुमल हरपलानी हैं। लेकिन भारत और पाकिस्तान के बटवारे के बाद आसाराम का परिवार गुजरात आकर बस गया। आसाराम का परिवार बहुत ही गरीब था, वो जैसा- तैसे अपना गुजर- बसर करते थे।
आसुमल तांगेवाला उर्फ आसाराम बाबू उस समय अपने चाचा के संग अजमेर में किराए के मकान में रहते थे। गुजरात में 2 साल तांगा चलाने के बाद वह एक बाबा की संगत में आ
गए थे जिसके बाद वो खुद ही एक बाबा बन गए।
गौरतलब है कि आसाराम बाबू ने तीसरी क्लास तक ही पढ़ाई कि हैं, और उन्होंने 15 साल की उर्म में घर त्याग दिया था, जिसके बाद वो भरुच में एक आश्रम में रहने लगे। 1973 में आसाराम बाबू ने अपना पहला आश्रम अहमदाबाद के मोटेरा गांव में बनवाया था। इसके साथ ही आसाराम ने कई गुरुकुल, महिला केंद्र बनाए। फिर 1997 से 2008 के बीच उनपर रेप केस चलने लगा 19 अगस्त 2013 में आसाराम के दुराचार का पता लगते ही परिजन पीडि़ता को लेकर नई दिल्ली पहुंचे, जहां आसाराम धार्मिक कार्यक्रम में व्यस्त था।
20 अगस्त को परिजन ने आसाराम से मिलने का प्रयास किया, लेकिन असफल रहे। उन्होंने नई दिल्ली के कमला मार्केट थाने में आसाराम के खिलाफ यौन दुराचार का मामला दर्ज कराया था। 21 अगस्त को घटनास्थल
जोधपुर का होने से दिल्ली पुलिस ने बिना नम्बर की प्राथमिकी दर्ज की। पीडि़ता व परिजन को लेकर दिल्ली पुलिस जोधपुर पहुंची। यहां महिला थाना पश्चिम में मामला दर्ज। तत्कालीन डीसीपी अजयपाल लाम्बा ने मौका मुआयना किया। जिसके बाद 25 अप्रेल को जज ने आसाराम बाबू को दोषी करार दे दिया गया हैं।