जोधपुर

मृत लोगों के नाम से मनरेगा में आवेदन के मामले में मांगी रिपोर्ट

देवगढ गांव के मृत लोगों के नाम से मनरेगा में रोजगार के आवेदन करने के मामले में जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. इंद्रजीत यादव ने संज्ञान लिया है।

जोधपुरAug 05, 2021 / 12:36 am

pawan pareek

मृत लोगों के नाम से मनरेगा में आवेदन के मामले में मांगी रिपोर्ट

बेलवा (जोधपुर) देवगढ गांव के मृत लोगों के नाम से मनरेगा में रोजगार के आवेदन करने के मामले में जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. इंद्रजीत यादव ने संज्ञान लिया है।
गौरतलब है कि मनरेगा योजना में घोटाला करते हुए पंचायत में कार्यरत ग्रामसेवक, सरपंच व अन्य कर्मचारियों की कथित मिलीभगत से गांव के कई मृत लोगों के मनरेगा जॉब कार्ड से आवेदन किए थे।
मामले को राजस्थान पत्रिका में 3 अगस्त के अंक में ‘मृतक भी कर रहे मनरेगा में मजदूरीÓ शीर्षक से प्रमुखता से खबर प्रकाशित कर सिस्टम की पोल खोली। पत्रिका में समाचार प्रकाशित होने के बाद बालेसर पंचायत समिति के अधिकारियों के साथ कर्मचारी भी हरकत में आए। समाचार पर संज्ञान लेते हुए मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. इंद्रजीत यादव ने कहा कि एक गांव के कई मृत लोगों का नरेगा में आवेदन करना गंभीर कृत्य है।
नरेगा के ऐसे प्रकरण में ग्रामसेवक व सरपंच की भूमिका पर सवाल खड़े होते है। इनकी निगरानी में मनरेगा कार्य होते है। लोगों की मौत के बाद नरेगा में आवेदन के कई मामले सामने आए है।
बालेसर बीडीओ को निष्पक्ष जांच कर रिपोर्ट भेजने के निर्देश दिए है। प्रकरण में दोषी ग्रामसेवक व अन्य कर्मचारियों के विरुद्ध मनरेगा कानून के तहत उचित जुर्माने के साथ ही सख्त विभागीय अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। वहीं मामले की जांच रिपोर्ट बालेसर पंचायत समिति से मिली है।

बालेसर विकास अधिकारी बाबूसिंह राजपुरोहित ने बताया कि देवगढ़ में मौत के बाद ग्रामीणों के मनरेगा में किए फर्जी आवेदन पत्रों की जांच की जा रही है। उन्होंने सहायक अभियंता को प्रकरण के सम्पूर्ण तथ्यों की जांच के निर्देश दिए है। राजपुरोहित ने बताया कि प्रथम दृष्टया मामले में फर्जी आवेदन में ग्रामसेवक की मानवीय भूल से होना पाया है। मृत नामों को मनरेगा जॉब कार्ड व कार्यस्थल से हटवा दिया है। वही मृत लोगों के नाम पर रोजगार प्राप्त कर कोई भुगतान नहीं हुआ है।
गांवों में नरेगा से पनपे घोटालेबाज

गांवों के लोगों को रोजगार मुहैया करवाने के लक्ष्य से शुरू मनरेगा योजना से भ्रष्टाचार बढ़ गया है। गांवों में चल रहे नाडी खुदाई कार्य हो या अपना खेत अपना काम योजना, मेट लोगों के बिना कार्यस्थल पर आए फर्जी हाजिरी करते है। जिसके बाद पखवाड़े में आई रोजगार राशि का आधा हिस्सा रिश्वत के रूप में हड़प कर सरकारी धन का दुरुपयोग करते है। इसमें कई अधिकारी भी शामिल होते है। वहीं नाडी या अन्य किसी नरेगा स्थल पर एक टके का भी कार्य नहीं हो पाता है। गांवों में चारों तरफ यही हाल है लेकिन लोग भी बिना काम पैसे के लालच में शिकायत नहीं करते है।

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