गजेंद्र सिंह दहिया व्यापार के मंच पर पाकिस्तान को पटखनी देने के लिए केंद्र सरकार ने तैयारी की है। सरकार अब ग्वार से बने पशु आहार के सह उत्पाद कोरमा व ग्वार मील का निर्यात चीन को करेगी। वर्तमान में इस पर पाकिस्तान का एकाधिकार है। चीन में पालतु पशु अधिक हैं। वह सौ प्रतिशत ग्वार कोरमा और ग्वार मील पाकिस्तान से ही मंगाता है। इससे पाकिस्तान को काफी आय होती है। केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय के अधीन कोलकाता स्थित भारतीय विदेश व्यापार संस्थान ने इसके लिए जोधपुर स्थित काजरी के पूर्व दलहन वैज्ञानिक डॉ. डी कुमार को कंसल्टेंट नियुक्त किया है।
ग्वार के दानों की दाल से ग्वार पाउडर, जबकी बीज के बाहरी कोट व अंदर एम्ब्रियों से ग्वार मील बनता है। इस औद्योगिक फसल से प्राप्त ग्वार गम का तीन चौथाई भाग विदेश में निर्यात होता रहा है। मगर आजकल ग्वार पाउडर की विदेशी मांग कम होने के कारण केंद्र सरकार दूसरे विकल्पों पर विचार कर रही है। अब ग्वार से बने पशु आहार के सह उत्पाद कोरमा व ग्वार मील का निर्यात बढ़ाने पर विचार कर रही है। इनमें 40 से 45 प्रतिशत प्रोटीन होता है।
चीन के अलावा इन देशों में डिमाण्ड
इन पशु आहारों की मुख्य रूप से चीन, वियतनाम, कोरिया, कम्बोडिया, डेनमार्क, जर्मनी, रूस, मलेशिया जैसे देशों में डिमाण्ड है।
82 प्रतिशत ग्वार भारत में
दुनिया का 82 प्रतिशत ग्वार का उत्पादन भारत में होता है। ग्वार का अंग्रेजी नाम क्लस्टर बीन है, लेकिन भारत के वर्चस्व के कारण विदेशों में भी इसके हिंदी नाम ग्वार को अपना लिया गया है। पाकिस्तान में 15 प्रतिशत ग्वार होता है। भारत का 72 प्रतिशत ग्वार राजस्थान में होता है। शेष हरियाणा, गुजरात सहित राजस्थान के आसपास के लगते क्षेत्रों में पैदावार होती है।
सरकार ने ग्वार की किस्में, बीमारियां, कीटों से बचाव, फसल कटाई, संग्रहण, ग्वार के सह उत्पाद के गुण, अवगुण, मूल्य संवर्द्धन, निर्यात में दिक्कतें, जैविक ग्वार उत्पादन से संबंधित रिपोर्ट मांगी है।