उदयपुर निवासी 32 वर्षीय युवक की नेफ्रोटिक्स सिंड्रोम से दोनों किडनी खराब हो गई थी। उसकी 50 वर्षीय मां ने अपनी एक किडनी बेटे को देने की इच्छा जताई। एम्स के डॉक्टरों ने दोनों को किडनी ट्रांसप्लांट के लिए भर्ती किया। सामान्यत: पेट पर चीरा लगाकर दूरबीन विधि से डोनर के शरीर से किडनी निकाली जाती है।
इस बार डॉक्टरों ने मां के पेट पर चीरा लगाने की बजाय उसके जननांग के जरिए किडनी निकाल ली। फिर बेटे के पेट पर चीरा लगाकर ट्रांसप्लांट की गई। निशान रहित सर्जरी से मरीज को ऑपरेशन के बाद कम दर्द हुआ और महिला के पेट पर कोई निशान भी नहीं रहा। ट्रांसप्लांट की गई किडनी भी अच्छी तरह काम कर रही है। मां व बेटा दोनों स्वस्थ हैं। दोनों को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है।