scriptमां ने लिया बेटे को जीवनदान देने का फैसला, फिर जोधपुर AIIMS के डॉक्टरों ने पहली बार किया ऐसा ऑपरेशन | AIIMS Jodhpur: For the first time, kidney of donor was removed without making an incision on the abdomen | Patrika News
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मां ने लिया बेटे को जीवनदान देने का फैसला, फिर जोधपुर AIIMS के डॉक्टरों ने पहली बार किया ऐसा ऑपरेशन

AIIMS Jodhpur: उदयपुर निवासी 32 वर्षीय युवक की नेफ्रोटिक्स सिंड्रोम से दोनों किडनी खराब हो गई थी। उसकी 50 वर्षीय मां ने अपनी एक किडनी बेटे को देने की इच्छा जताई।

जोधपुरOct 23, 2024 / 08:45 am

Rakesh Mishra

AIIMS Jodhpur: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) जोधपुर के डॉक्टरों ने पहली बार बगैर चीरफाड़ के किडनी ट्रांसप्लांट का प्रोसिजर किया। उन्होंने जननांग के जरिए एक महिला से किडनी निकालकर उसके बेटे को लगाई। इसके लिए बेहतर तकनीक की जरूरत होती है।
उदयपुर निवासी 32 वर्षीय युवक की नेफ्रोटिक्स सिंड्रोम से दोनों किडनी खराब हो गई थी। उसकी 50 वर्षीय मां ने अपनी एक किडनी बेटे को देने की इच्छा जताई। एम्स के डॉक्टरों ने दोनों को किडनी ट्रांसप्लांट के लिए भर्ती किया। सामान्यत: पेट पर चीरा लगाकर दूरबीन विधि से डोनर के शरीर से किडनी निकाली जाती है।
इस बार डॉक्टरों ने मां के पेट पर चीरा लगाने की बजाय उसके जननांग के जरिए किडनी निकाल ली। फिर बेटे के पेट पर चीरा लगाकर ट्रांसप्लांट की गई। निशान रहित सर्जरी से मरीज को ऑपरेशन के बाद कम दर्द हुआ और महिला के पेट पर कोई निशान भी नहीं रहा। ट्रांसप्लांट की गई किडनी भी अच्छी तरह काम कर रही है। मां व बेटा दोनों स्वस्थ हैं। दोनों को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है।

यह थी डॉक्टरों की टीम

एम्स जोधपुर में यूरोलॉजी के डॉ. एएस संधू के नेतृत्व में डॉ. महेंद्र सिंह द्वारा मां डोनर के पेट में चीरा लगाए बिना जननांग के जरिए किडनी निकाली गई। सर्जरी में डॉ. गौतम राम चौधरी, डॉ. शिवचरण नावरिया, डॉ. दीपक भीरूड, प्रवीण और अतुल शामिल थे। एनेस्थीसिया टीम में डॉ. प्रदीप भाटिया, डॉ. अंकुर शर्मा और नेफ्रोलॉजी से डॉ. मनीष चतुर्वेदी और राजेश जोरावट शामिल हुए।

अब तक 52 किडनी ट्रांसप्लांट

एम्स जोधपुर में अभी तक 52 लोगों का सफल किडनी ट्रांसप्लांट हो चुका है और वे पूर्णतया स्वस्थ हैं। एम्स में बहुत कम लागत पर सरकारी योजना में किडनी ट्रांसप्लांट होता है।

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