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दुनियाभर में बांटेंगे संस्कृत का ज्ञानविश्वविद्यालय ने इस सत्र से ‘वैश्विक संस्कृत सेवा’ परियोजना के तहत नि:शुल्क संस्कृत शिक्षण योजना शुरू की है। इसमें 4 साल से लेकर 100 वर्ष तक की आयु के दुनिया के किसी भी देश, जाति-धर्म और संप्रदाय से व्यक्ति प्रवेश ले सकता है। 4 साल से 15 साल तक के बच्चों को विशेष रूप से तैयार ‘शिशु संस्कृत’ पाठ्यक्रम में प्रवेश दिया गया है। इन पाठ्यक्रमों प्रवेश लेने की अंतिम तिथि 30 सितंबर है।
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यहां से आए सबसे ज्यादा आवेदनराजस्थान के साथ-साथ आंध्र प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, कर्नाटक, ओडिशा, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, गुजरात और दिल्ली के मुस्लिम अभ्यर्थियों ने भी संस्कृत के विभिन्न पाठ्यक्रमों में आवेदन किया है।
सुरैया और मरियम संस्कृत में पढ़ेंगी भारतीय दर्शन
अब तक प्राप्त आवेदनों में 311 आवेदन मुस्लिम विद्यार्थियों के हैं। इनमें 181 पुरुष और 130 महिला विद्यार्थियों ने संस्कृत पढ़ने में रुचि दिखाई है। संस्कृत में कुल 18 विषयों में कोर्स उपलब्ध हैं। बांग्लादेश की सुरैया इस्लाम रिया ने भारतीय दर्शन तथा संस्कृत बोलना सीखने के लिए प्रवेश लिया है। बांग्लादेश के ही मोहम्मद अमीनुल इस्लाम ने संस्कृत व्याकरण कोर्स में आवेदन किया है। ईरान की मरियम अलीजादेह ने भारतीय दर्शन विषय चुना है। नेपाल की हमीदा तबस्सुम ने अध्यात्म और नीति शास्त्र में आवेदन किया है।
अब तक प्राप्त आवेदनों में 311 आवेदन मुस्लिम विद्यार्थियों के हैं। इनमें 181 पुरुष और 130 महिला विद्यार्थियों ने संस्कृत पढ़ने में रुचि दिखाई है। संस्कृत में कुल 18 विषयों में कोर्स उपलब्ध हैं। बांग्लादेश की सुरैया इस्लाम रिया ने भारतीय दर्शन तथा संस्कृत बोलना सीखने के लिए प्रवेश लिया है। बांग्लादेश के ही मोहम्मद अमीनुल इस्लाम ने संस्कृत व्याकरण कोर्स में आवेदन किया है। ईरान की मरियम अलीजादेह ने भारतीय दर्शन विषय चुना है। नेपाल की हमीदा तबस्सुम ने अध्यात्म और नीति शास्त्र में आवेदन किया है।
परियोजना को देश-दुनिया से बहुत अच्छी प्रतिक्रिया मिली है। इस परियोजना को चलाने के लिए सरकार 5 करोड़ रुपए का अनुदान दे, ताकि संस्कृत के प्रचार-प्रसार के लिए इसे अनवरत चलाया जा सके। – डॉ. संदीप जोशी, असिस्टेंट प्रोफेसर, परियोजना समन्वयक