देश के विभिन्न राज्यों में रहने वाले मारवाड़ के प्रवासी लोग विवाह के बाद और बच्चों के मुंडन संस्कार के लिए मंदिर आते हैं और ढोल-थाली बजवाकर आभार जताते हैं। तत्कालीन महाराजा अजीतसिंह के कार्यकाल 1707 से 1724 के दौरान मंडोर उद्यान में निर्मित देवताओं की साळ से सटे गणेश मंदिर में तीनों देवताओं का नियमित पूजन होता है। जैसलमेर के रामदेवरा में प्रतिवर्ष भाद्रपद माह में आयोज्य रामदेवरा मेले के दौरान पूरे एक माह यहां मेले सा माहौल रहता है।
रामदेवरा दर्शनार्थ देश के कोने-कोने से आने वाले पैदल श्रद्धालु यात्रा सकुशल पूरी करने के बाद आभार जताने भैरु-गणेश दरबार जरूर आते हैं। पुष्पविक्रेता कल्याण समिति के विक्रमसिंह गहलोत ने बताया कि गणेश की मूर्ति को एक हजार साल पूर्व मांडव्यपुर व मारवाड़ की राजधानी रहे मंडोर के समय की माना जाता है। मंदिर में वर्ष में दो बार भाद्रप्रद और पौष मास की अमावस्या को पुष्प उत्सव मनाया जाता है।