मुख्यमंत्री ने कहा कि अगले साल 12 जनवरी तक कौशल विकास के माध्यम से एक लाख युवाओं को रोजगार प्रदान करना है। 8 से 10 हजार रुपये तक के शुरुआत मासिक तनख्वाह में बड़ी संख्या में रोजगार मिल रहा है। अपने अनुभव व कौशल से ये बच्चे आनेवाले समय में और अधिक से अधिक तनख्वाह पा सकेंगे। देश ही नहीं विदेशों में भी झारखंड के प्रशिक्षित बच्चे नौकरी के लिए जा रहे हैं। यह अच्छा संकेत है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि चेकपोस्ट के लिए बने भवनों समेत जिलों में बेकार पड़े भवनों में स्कील ट्रेनिंग संस्थान खोलें। वहां ज्यादा से ज्यादा बच्चों को प्रशिक्षण दें। उन्होंने कहा कि कपड़े व लेदर उद्योग में प्रशिक्षित मानव संसाधन की काफी मांग है। उद्योगों की जरूरत व बाजार की मांग के अनुरूप ही प्रशिक्षण दें। छात्रों की रूचि का भी ध्यान रखें। जो बच्चे रोजगार के लिए बाहर चले गये हैं, उन्हें भी यहीं नौकरी दिलाने का प्रयास करें। राज्य स्तर पर एक प्लेटमेंट एजेंसी बनायें, इसी के माध्यम से झारखंड से बाहर नौकरी के लिए जानेवालों को पंजीयन करायें।
विभाग के सचिव राजेश शर्मा ने बताया कि झारखंड में इस वर्ष कौशल विकास के माध्यम से अब तक 34 हजार युवाओं को नौकरी दी जा चुकी है। साथ ही 56 हजार से ज्यादा युवाओं को प्रशिक्षण दिया गया है। इनमें से कई लोग स्वरोजगार कर रहे हैं। 30 हजार युवाओं को प्रशिक्षण देने का काम चल रहा है। अभी तक जिन 34 हजार युवाओं को नौकरी मिली है, उनमें 68 प्रतिशत युवाओं को आठ से दस हजार रुपये तथा 17 प्रतिशत बच्चों को दस हजार रुपये से ज्यादा तनख्वाह की नौकरी मिली है। इन बच्चों को 3 से 12 माह तक के प्रशिक्षण में इतनी राशि की नौकरी मिली है, जो उत्साहवर्द्धक है।
सबसे ज्यादा नौकरी लगभग 49 प्रतिशत टेक्सटाइल उद्योग में मिली है। एक लाख बच्चों को जनवरी तक नौकरी दिलाने के लिए तय कार्यक्रम के अनुसार काम किया जा रहा है। उद्योंगो से उनकी जरूरत मांगी जा रही है, ताकी बच्चों को इस अनुसार प्रशिक्षण दिया जा सके। बच्चों को प्रशिक्षण देने के लिए लगभग 90 टीएसपी खोले जा रहे हैं। प्लेसमेंट के लिए विशेष आयोजन किये जा रहे हैं। बैठक में मुख्य सचिव सुधीर त्रिपाठी, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव सुनील कुमार बर्णवाल, नगर विकास सचिव अजय कुमार सिंह, कल्याण सचिव हिमानी पांडेय, उद्योग सचिव विनय कुमार चौबे समेत अन्य अधिकारी उपस्थित थे।