मोती की खेती के लिए एक तालाब, सीप और ट्रेनिंग इन तीन चीजों की आवश्यकता होती है। तालाब आप अपने खर्च पर भी खुदवा सकते हैं या सरकार से 50 फीसदी सब्सिडी का भी लाभ उठा सकते हैं। सीप की खेती के लिए देश में कई संस्थान भी हैं। उदाहरण के लिए मध्यप्रदेश के होशंगाबाद और मुंबई में पर्ल फार्मिंग की ट्रेनिंग दी जाती है।
वैसे तो भारत के कई राज्यों में सीप मिलते हैं, लेकिन दक्षिण भारत और बिहार के दरभंगा में सीप की गुणवत्ता काफी अच्छी होती है।
इसके लिए तालाब में आपको सीपियों को जाल में बांधकर 10-15 दिनों के लिए तालाब में डालना है। इससे वो अपने मुताबिक अपना वातावरण को अनुकूल बना सकें। इसके बाद उन्हें बाहर निकालकर उनकी सर्जरी की जाती है। सर्जरी के जरिये उनमें एक पार्टीकल या साँचा डाला जाता है जिसपर कोटिंग के बाद सीप लेयर बनाता है। यही लेयर आगे चलकर मोती बनते हैं।
आपको इसकी खेती अधिक खर्च नहीं आएगा। एक सीप के तैयार होने में केवल 25-35 हज़ार रुपये का खर्च आता है। जब ये सीप तैयार होते हैं तो आप एक सीप से दो मोती प्राप्त कर सकते हैं। एक मोती कम से के। 120 रुपये में बिकता है। यदि उसकी क्वालिटी अच्छी होती है तो वो 200 रुपये से भी अधिक मे बिक जाता है।
यदि आप एक एकड़ के तालाब में 25 हज़ार सीपियां डालते हैं तो उसपर करीब 8 लाख रुपये तक का खर्च आएगा। यदि कुछ सीप तैयार होते समय बर्बाद भी हुए तो भी 50 फीसदी से अधिक सीप सुरक्षित निकलते ही हैं जिससे सालाना 30 लक्ज रुपये कमाई हो सकती है।
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