उन्होंने कहा कि एक साल के भीतर न केवल साढ़े चार लाख शौचालय बन गए बल्कि ढाई लाख स्कूलों ने स्वच्छता प्रतियोगिता में भाग लिया। यह देखकर तो मैं दंग रह गया अब इस वर्ष तो साढ़े छह लाख स्कूलों ने इसमें भाग लिया है। पहले किसी ने भी यह सोचा नहीं था सरकारी स्कूल ऑनलाइन प्रतियोगिता में भाग लेंगे। लेकिन धीरे-धीरे इनकी संख्या बढ़ती गई और निजी स्कूलों के लिए भी यह प्रतियोगिता खोल दी गयी और सरकारी के साथ साथ निजी स्कूलों ने भी भाग लेना यह बताता है कि लोगों की मानसिकता में बदलाव आया है और यह जनांदोलन बन गया है।
प्रकाश जावेडकर ने कहा कि स्वच्छता एक आदत और संस्कार है। स्वच्छ लोग दूसरों को भी स्वच्छ रहना सिखाते हैं। इस अभियान से न केवल लोगों की मानसिकता एवं स्वभाव में परिवर्तन आया है बल्कि देश का विकास हुआ है। उन्होंने कहा कि स्कूलों में स्वच्छता से डायरिया जैसे रोगों में काफी कमी आयी है तथा ड्राप आउट में भी कमी आयी है।