आयोग की वरिष्ठ अध्यापक (माध्यमिक) परीक्षा-2018 के दौरान बाड़मेर में हिंदी का पेपर व्हाट्सएप पर आया था। जांच के दौरान पेपर को टॉयलेट में मोबाइल से फोटो खींचना और व्हाट्सएप पर भेजना सामने आया। इसके अलावा एक दर्जन अभ्यर्थियों के बार-बार टॉयलेट जाने की जानकारी भी मिली। पूर्व में कुछेक परीक्षाओं में अभ्यर्थियों के कई बार टॉयलेट जाने अथवा वहां तयशुदा अवधि से ज्यादा वक्त बिताने की आंतरिक रिपोर्ट मिलती रही है। लेकिन आयोग अब तक इसे नियमित शारीरिक प्रक्रिया मानते हुए ज्यादा ध्यान नहीं देता था।
यों मिलती है टॉयलेट जाने की अनुमति
आयोग आरएएस एवं अधीनस्थ सेवा, वरिष्ठ अध्यापक, पुलिस उप महानिरीक्षक, प्रधानाध्यापक और अन्य भर्ती परीक्षाएं कराता है। मौजूदा नियमों के मुताबिक किसी परीक्षा शुरू होने के प्रथम एक घंटे तक केंद्रों में अभ्यर्थियों को टॉयलेट जाने की इजाजत नहीं मिलती। दूसरे अथवा तीसरे घंटे में ही वे टॉयलेट जा सकते हैं, लेकिन इसके लिए वीक्षक बाकायदा एक पेपर में संबंधित अभ्यर्थी का रोल नंबर, नाम और कमरा नंबर दर्ज करता है। सभी केंद्रों से अभ्यर्थियों के टॉयलेट जाने की यह रिपोर्ट रीक्षा/ परीक्षाओं के बाद आयोग को भेजी जाती है।
आयोग आरएएस एवं अधीनस्थ सेवा, वरिष्ठ अध्यापक, पुलिस उप महानिरीक्षक, प्रधानाध्यापक और अन्य भर्ती परीक्षाएं कराता है। मौजूदा नियमों के मुताबिक किसी परीक्षा शुरू होने के प्रथम एक घंटे तक केंद्रों में अभ्यर्थियों को टॉयलेट जाने की इजाजत नहीं मिलती। दूसरे अथवा तीसरे घंटे में ही वे टॉयलेट जा सकते हैं, लेकिन इसके लिए वीक्षक बाकायदा एक पेपर में संबंधित अभ्यर्थी का रोल नंबर, नाम और कमरा नंबर दर्ज करता है। सभी केंद्रों से अभ्यर्थियों के टॉयलेट जाने की यह रिपोर्ट रीक्षा/ परीक्षाओं के बाद आयोग को भेजी जाती है।
बदलाव की मंशा
अब तक आयोग इसे नियमित प्रक्रिया मानते हुए विचार नहीं करता था। लेकिन कुछ परीक्षाओं में सामने आई घटनाओं के चलते आयोग प्रशासन इसमें बदलाव चाहता है। इसको लेकर चिकित्सकों, मनोविशेषज्ञों और उच्चाधिकारियों से विचार-विमर्श किया जाना है।
अब तक आयोग इसे नियमित प्रक्रिया मानते हुए विचार नहीं करता था। लेकिन कुछ परीक्षाओं में सामने आई घटनाओं के चलते आयोग प्रशासन इसमें बदलाव चाहता है। इसको लेकर चिकित्सकों, मनोविशेषज्ञों और उच्चाधिकारियों से विचार-विमर्श किया जाना है।
इन बिन्दुओं पर हो सकता है विचार
– अगर परीक्षा दो घंटे की है, तो टॉयलेट जाने की इजाजत नहीं।
– तीन घंटे की परीक्षा अवधि में नियम यथावत रखा जाए
– गंभीर रूप से बीमार, किडनी/मूत्र संबंधित रोगी अभ्यर्थियों के लिए रोक नहीं
– परीक्षा के दौरान टॉयलेट के बाहर पुरुष/महिला कार्मिकों की नियुक्ति
– लम्बी अवधि तक टॉयलेट में रुकने वालों की विशेष जांच
– परीक्षा शुरू होने से पहले टॉयलेट/शौच निवृत्ति पर विचार
– अगर परीक्षा दो घंटे की है, तो टॉयलेट जाने की इजाजत नहीं।
– तीन घंटे की परीक्षा अवधि में नियम यथावत रखा जाए
– गंभीर रूप से बीमार, किडनी/मूत्र संबंधित रोगी अभ्यर्थियों के लिए रोक नहीं
– परीक्षा के दौरान टॉयलेट के बाहर पुरुष/महिला कार्मिकों की नियुक्ति
– लम्बी अवधि तक टॉयलेट में रुकने वालों की विशेष जांच
– परीक्षा शुरू होने से पहले टॉयलेट/शौच निवृत्ति पर विचार
टॉयलेट जाना एक शारीरिक प्रक्रिया का हिस्सा है। फिलहाल सभी परीक्षाओं में नियम यथावत है। लेकिन बाड़मेर जैसे मामलों को देखते हुए इस नियम में कुछ फेरबदल या नवाचार संभव है।
– दीपक उप्रेती, अध्यक्ष RPSC
– दीपक उप्रेती, अध्यक्ष RPSC