कांस्टेबल से हैड कांस्टेबल के लिए प्रमोशन योग्यता (परीक्षा) के आधार पर होता रहा है। पहली बार सरकार ने नए नियम बनाकर योग्यता के बजाय वरिष्ठता से प्रमोशन किए हैं। इसके लिए ६ हजार नए पद सृजित कर वरिष्ठता के आधार पर इतने हैड कांस्टेबल बनाए जा रहे हैं। लेकिन तमगा देने से पहले पीसीसी कराना अनिवार्य है। करीब २ माह की ट्रेनिंग में उन्हें कानूनी जानकारी, अनुसंधान की बारीकी आदि गुर सिखाए जाते हैं। लेकिन चुनावों को देखते हुए पुलिस मुख्यालय यह ट्रेनिंग देने को तैयार नहीं है। इसके पीछे कारण कुछ भी गिनाए जा रहे हों लेकिन तैयारियों से साफ है कि 19 सितम्बर को होने वाला सम्मलेन मुख्य कारण है।
लाभार्थी सम्मेलन की तरह आरपीए में 19 सितम्बर को नए हैड कांस्टेबलों को परिवार के साथ बुलाया जा रहा है। यहां उन्हें हैड कांस्टेबल प्रमोशन देने की औपचारिकता पूरी की जाएगी। ऐसे में मुख्यालय ने गृह विभाग को प्रस्ताव भेजा है, जिसमें लिखा है कि हैड कांस्टेबल बनने वालों की उम्र अधिक है। पुलिस के पास एकसाथ इतने हैड कांस्टेबलों को ट्रेनिंग देने की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। अन्य कारण भी गिनाए गए हैं।
ट्रेनिंग जरूरी नहीं!
वर्ष 2013-2014 के रिक्त पदों पर बनाए गए हैड कांस्टेबल इन दिनों आरपीटीसी जोधपुर व अन्य सेंटर पर पीसीसी कर रहे हैं। इनके एक बैच की ट्रेनिंग हो चुकी है तथा दूसरा बैच अभी ट्रेनिंग में है। वरिष्ठता के आधार पर प्रमोशन पाने वालों के लिए मुख्यालय यह ट्रेनिंग जरूरी नहीं समझ रहा। मुख्यालय के इस प्रस्ताव को गृह विभाग ने हूबहू स्वीकार कर लिया है।
हमारी ट्रेनिंग क्षमता सीमित है। इतने जवानों को एकसाथ ट्रेनिंग नहीं कराई जा सकती। इसलिए इन्हें हैड कांस्टेबल बनाया जा रहा है। ट्रेनिंग बाद में कराने पर विचार किया जा रहा है।
– ओपी गल्होत्रा, पुलिस महानिदेशक