मुख्यालय ने एडहोक के जरिए जांच अधिकारी के करीब तेरह हजार पद भरने के लिए यह प्रस्ताव तैयार किया था। अब पुलिसकर्मियों को नियमित डीपीसी का ही इंतजार करना पड़ेगा। पुलिस में प्रमोशन के लिए डीपीसी समय पर नहीं हो पा रही है। इसके अलावा भर्ती भी समय पर नहीं हो रही। ऐसे में कई पद खाली पड़े हैं। पुलिस में जांच अधिकारियों की कमी देखते हुए पुलिस मुख्यालय ने बड़ा निर्णय लिया था। हैड कांस्टेबल, सहायक उपनिरीक्षक, उपनिरीक्षक व निरीक्षक के रिक्त पद भरने के लिए एडहोक प्रमोशन (तदर्थ पदोन्नति) का प्रस्ताव तैयार किया।
गत सरकार के समय वरिष्ठता के आधार पर छह हजार कांस्टेबलों को पदोन्नत करने की तरह यह भी बड़ा कदम बताया जा रहा था। पुलिस मुख्यालय का तर्क था कि इसमें पुलिसकर्मियों को अतिरिक्त वेतन भी नहीं देना होगा।
इसलिए बनाया गया था प्रस्ताव
महकमे में आपराधिक मामलों की जांच का जिम्मा प्रमुख रूप से हैड कांस्टेबल से निरीक्षक स्तर के पुलिसकर्मियों के पास रहता है। पुलिस में हैड कांस्टेबल के करीब 18 प्रतिशत, उपनिरीक्षक के 37 प्रतिशत तथा निरीक्षक के 28 प्रतिशत पद रिक्त हैं। सबसे अधिक पद उपनिरीक्षक के खाली हैं। उप निरीक्षक पदों को सीधी भर्ती के साथ प्रमोशन से भी भरे जाते हैं। सीधी भर्ती में समय अधिक लगने से ये पद खाली पड़े हैं। वर्ष 2010 की भर्ती प्रक्रिया गत वर्ष ही पूरी हुई है। इसी तरह हैड कांस्टेबल व सहायक उपनिरीक्षक केपद पदोन्नति से भरे जाते हैं, जिनमें भी समय लगता है। प्रस्ताव में बताया गया था कि तय प्रक्रिया से प्रमोशन होने पर उन्हें समायोजित कर लिया जाएगा।