प्रार्थीपक्ष की ओर से कहा गया कि याचिकाकर्ता एक साल का निर्धारित डिप्लोमा रखते हैं, उनको नियुक्ति की अनुमति दी जाए। एनसीटीई व राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि पात्रता के लिए दो साल का डिप्लोमा होना जरूरी है। चयनित अभ्यर्थियों की ओर से अधिवक्ता अनूप ढण्ड ने पैरवी की।
कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद अपात्र शिक्षकों की नियुक्ति पर रोक जारी रखते हुए कहा कि पात्र शिक्षकों को नियुक्ति दी जा सकती है, लेकिन प्रतीक्षा सूची से नियुक्ति फिलहाल नहीं दी जाए। कोर्ट के इस फैसले से अपील करने वाले अभ्यर्थियों को काफी राहत मिलेगी।