उल्लेखनीय है कि वर्ष 2004 में RPSC ने तृतीय श्रेणी शिक्षकों की भर्ती के लिए परीक्षा आयोजित की थी। इस परीक्षा में चयनित किए गए पुरुषों को 2354 पदों पर नियुक्ति दी जानी थी। परन्तु मेरिट में चुने जाने के बाद भी आरपीएससी तथा शिक्षा विभाग ने बड़ी गलती करते हुए पुरुषों के स्थान पर महिलाओं को इन पदों पर नियुक्ति दे दी थी। RPSC के इस निर्णय के विरुद्ध मेरिट सूची में आने वाले पुरुषों ने कोर्ट का रुख किया जहां वर्ष 2015 में अदालत ने आरपीएससी के निर्णय को गलत मानते हुए चयनित पुरुष अभ्यर्थियों के पक्ष में फैसला दिया। इस पर आरपीएससी ने हाईकोर्ट की डबल बैंच में अपील की परन्तु यहां भी बोर्ड की हार हुई और अदालत ने पुरुष अभ्यर्थियों को नियुक्त किए जाने का आदेश दिया।
बोर्ड तथा सरकार के कार्यप्रणाली से नाराज शिक्षक भर्ती (तृतीय श्रेणी) 2004 संघर्ष समिति के अध्यक्ष मनोज कुमार दवे ने भी कहा “14 वर्ष पहले ही हमारा चयन हो गया था मगर सरकार की गलती से नियुक्ति नहीं मिली। 14 वर्षों से आंदोलन कर रहे हैं। इस दौरान 8-10 साथियों की मौत हो गई। मेरा भी 1966 का जन्म है। आठ साल बाद सेवानिवृत्ति का समय हो जाएगा। मगर सरकार नियुक्ति नहीं दे रही हैं। यहीं हाल 2300 साथियों का है। पता नहीं, हमें कब नियुक्ति मिलेगी।”