इनके काम
चुनाव विश्लेषक का काम चुनाव से जुड़े आंकड़ों और लोगों पर नजर बनाए रखने का होता है। जैसे कब किस पार्टी या उम्मीदवार को कैसे या किस परिस्थिति में कितने मत मिले थे। अगर कोई चुनाव जीता तो क्या कारण थे और हारने की वजह क्या थी। इसमें वे चुनाव से पहले और बाद भी आंकलन करते हैं। काम के सिलसिले में प्रोफेशनल्स को चुनावी क्षेत्रों का दौरा भी करना होता है। एग्जिट पोल के नतीजों की सार्थकता को देखते हुए इनके काम की हर जगह पूछ है तथा लगभग सभी पार्टियां इनकी सेवाएं लेती हैं। इसके लिए उनको अच्छा पैसा भी देना पड़ता है। कई चुनाव विशलेषकों की अपनी एक टीम भी होती है। प्रशांत किशोर और योगेंद्र यादव इसके उदाहरण हैं।
चुनाव विश्लेषक का काम चुनाव से जुड़े आंकड़ों और लोगों पर नजर बनाए रखने का होता है। जैसे कब किस पार्टी या उम्मीदवार को कैसे या किस परिस्थिति में कितने मत मिले थे। अगर कोई चुनाव जीता तो क्या कारण थे और हारने की वजह क्या थी। इसमें वे चुनाव से पहले और बाद भी आंकलन करते हैं। काम के सिलसिले में प्रोफेशनल्स को चुनावी क्षेत्रों का दौरा भी करना होता है। एग्जिट पोल के नतीजों की सार्थकता को देखते हुए इनके काम की हर जगह पूछ है तथा लगभग सभी पार्टियां इनकी सेवाएं लेती हैं। इसके लिए उनको अच्छा पैसा भी देना पड़ता है। कई चुनाव विशलेषकों की अपनी एक टीम भी होती है। प्रशांत किशोर और योगेंद्र यादव इसके उदाहरण हैं।
कैसे होती है इसकी पढ़ाई
चुनाव विश्लेषक बनने के लिए देश में कोई खास कोर्स नहीं है। अभी तो वही लोग इसमें ज्यादा दिलचस्पी दिखाते हैं जो पत्रकारिता, समाजशास्त्र, राजनीति शास्त्र और सांख्यिकी से जुड़े रहे हैं। इस क्षेत्र की कार्यशैली व गंभीरता को देखते हुए इसमें पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स को ही मुफीद माना जाता है। यदि छात्र के पास राजनीति शास्त्र व समाजशास्त्र अथवा सांख्यिकी में से किसी एक में डॉक्टरेट की डिग्री है तो उन्हें वरीयता दी जाती है। हालिया एक-दो वर्षों में कुछ विश्वविद्यालयों ने सेफोलॉजी में सर्टिफिकेट कोर्स शुरू किए हैं, जिनके जरिए वे विश्लेषकों की टीम तैयार कर रहे हैं।
चुनाव विश्लेषक बनने के लिए देश में कोई खास कोर्स नहीं है। अभी तो वही लोग इसमें ज्यादा दिलचस्पी दिखाते हैं जो पत्रकारिता, समाजशास्त्र, राजनीति शास्त्र और सांख्यिकी से जुड़े रहे हैं। इस क्षेत्र की कार्यशैली व गंभीरता को देखते हुए इसमें पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स को ही मुफीद माना जाता है। यदि छात्र के पास राजनीति शास्त्र व समाजशास्त्र अथवा सांख्यिकी में से किसी एक में डॉक्टरेट की डिग्री है तो उन्हें वरीयता दी जाती है। हालिया एक-दो वर्षों में कुछ विश्वविद्यालयों ने सेफोलॉजी में सर्टिफिकेट कोर्स शुरू किए हैं, जिनके जरिए वे विश्लेषकों की टीम तैयार कर रहे हैं।
किन बातों का रखना होता है ध्यान
राजनीतिक आंकड़ों को समझने के लिए जनसांख्यिकी पैटर्न को गहराई से समझना जरूरी होता है। साथ ही उन्हें जातिगत समीकरणों व राजनीतिक हलचलों से खुद को अपडेट रखना पड़ता है। इसके एक्सपर्ट आंकड़ों पर विशेष ध्यान रखते हैं। एक अच्छा विश्लेषक बनने के लिए यह आवश्यक है कि प्रोफेशनल्स स्थानीय मतों के धु्रवीकरण को समझे, अन्यथा वह एक स्वस्थ व निर्विवाद निष्कर्ष पर कभी नहीं पहुंच सकता है। साथ ही कंप्यूटर व इंटरनेट की जानकारी भी आवश्यक है ताकि वे आंकड़ों को एकत्रित कर सके।
राजनीतिक आंकड़ों को समझने के लिए जनसांख्यिकी पैटर्न को गहराई से समझना जरूरी होता है। साथ ही उन्हें जातिगत समीकरणों व राजनीतिक हलचलों से खुद को अपडेट रखना पड़ता है। इसके एक्सपर्ट आंकड़ों पर विशेष ध्यान रखते हैं। एक अच्छा विश्लेषक बनने के लिए यह आवश्यक है कि प्रोफेशनल्स स्थानीय मतों के धु्रवीकरण को समझे, अन्यथा वह एक स्वस्थ व निर्विवाद निष्कर्ष पर कभी नहीं पहुंच सकता है। साथ ही कंप्यूटर व इंटरनेट की जानकारी भी आवश्यक है ताकि वे आंकड़ों को एकत्रित कर सके।
एजेंसी और न्यूज चैनल में अवसर
चुनाव विश्लेषक को सरकारी व प्राइवेट दोनों जगह अवसर मिल सकते हैं। चुनावी सर्वे या रिसर्च कराने वाली एजेंसियों, टेलीविजन चैनल, समाचार पत्र-पत्रिकाओं, प्रमुख राजनीतिक दलों व एनजीओ आदि को पर्याप्त संख्या में इनकी जरूरत होती है। इसके अलावा पॉलिटिकल एडवाइजर, टीचिंग, संसदीय कार्य तथा पॉलिटिकल रिपोर्टिंग में इन लोगों की बेहद मांग है। इसमें शुरुआती सैलरी भी 35-40 हजार रुपए से शुरू होती है।
प्रभात दीक्षित, कॅरियर एक्सपर्ट
चुनाव विश्लेषक को सरकारी व प्राइवेट दोनों जगह अवसर मिल सकते हैं। चुनावी सर्वे या रिसर्च कराने वाली एजेंसियों, टेलीविजन चैनल, समाचार पत्र-पत्रिकाओं, प्रमुख राजनीतिक दलों व एनजीओ आदि को पर्याप्त संख्या में इनकी जरूरत होती है। इसके अलावा पॉलिटिकल एडवाइजर, टीचिंग, संसदीय कार्य तथा पॉलिटिकल रिपोर्टिंग में इन लोगों की बेहद मांग है। इसमें शुरुआती सैलरी भी 35-40 हजार रुपए से शुरू होती है।
प्रभात दीक्षित, कॅरियर एक्सपर्ट