उन्होंने बताया कि वर्ष 2014 में 800 करोड़ रुपए के बिना ब्याज के ऋण से 4 से 5 लाख युवाओं को लाभान्वित किया जाता था, वहीं इसे बढ़ाकर केंद्र सरकार ने 1800 करोड़ रुपए कर दिया है। इससे 8 लाख से ज्यादा छात्रों को लाभ मिल रहा है। उन्होंने कहा कि आगामी तीन वर्षों में इसका बजट 2200 करोड़ रुपए प्रतिवर्ष करके 10 लाख से ज्यादा छात्रों को फायदा पहुंचाया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश में शिक्षा का स्तर बेहतर से बेहतरीन हो रहा है। तकनीक और गुणवत्तायुक्त शिक्षा के चलते राजस्थान के युवा देश एवं विदेशों में ख्याति पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में शैक्षणिक स्तर सुधर रहा है और महिलाओं में उच्च शिक्षा का प्रतिशत बढ़ता जा रहा है।
जावडेकर ने प्रदेश के भामाशाहों की प्रशंसा करते हुए कहा कि अन्नदान और शिक्षादान को सबसे महत्वपूर्ण माना गया है, जिसने शिक्षा को उन्नत करने के लिए समाज को कुछ दिया है सही मायने में वही सच्चा भामाशाह है। उन्होंने कहा कि देश भर की उच्चतर संस्थानों में शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (रुसा) के जरिए प्रथम और द्वितीय चरण में चार-चार हजार करोड़ रुपए दिए जा चुके हैं। उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही आयुष्मान भारत, उज्ज्वला सहित कई योजनाओं के बारे में भी बताया। इस मौके राज्य की उच्च शिक्षा मंत्री किरण माहेश्वरी ने कहा कि केंद्र सरकार की मदद से प्रदेश की कॉलेजों के आधारभूत ढांचे को खासा बल मिला हैं। उन्होंने कहा कि रुसा के तहत प्रथम चरण में 352 करोड़ रुपए मिले, जिसमें 100 कॉलेजों को 2-2 करोड़ रुपए उपलब्ध कराकर आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई गईं।
उन्होंने कहा कि पिछले वर्षों में सरकार ने 81 नई कॉलेजों को खोला, जिनमें से 75 कॉलेजों ऐसे हैं, जहां या तो भवन निर्माण का कार्य चल रहा है या फिर अन्य सुविधाएं उपलब्ध करा दी गई हैं। उन्होंने कहा कि पहले कभी कॉलेजों में 40 प्रतिशत तक पद रिक्त रहते थे, वहीं सरकार के प्रयासों से कॉलेज शिक्षकों के 91 प्रतिशत भरे जा चुके हैं। इससे पूर्व कॉलेज शिक्षकों और उत्कृष्ट संस्थानों का सम्मान तथा दस से अधिक संस्थानों के साथ एमओयू भी किए गए। इस अवसर पर विभिन्न योजनाओं के तहत निर्मित भवनों का शिलान्यास और लोकार्पण भी किया गया। कार्यक्रम में उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री धनङ्क्षसह रावत, मणिपुर के उच्च शिक्षा मंत्री टी. राधेश्याम, एआईसीटीई के अध्यक्ष अनिल सहस्त्रबुद्धे तथा कई विश्वविद्यालयों के कुलपति और शिक्षक मौजूद थे।