युवा टैलेंट जॉब के अवसरों से ज्यादा अपनी रुचियों को तरजीह देने लगा है। उनमें से कइयों के लिए जॉब सिर्फ सैलेरी नहीं है, बल्कि लाइफ स्टाइल भी बन चुकी है। वे मौद्रिक लाभों के साथ इमोशनल रिवाड्र्स पर भी फोकस करते हैं। अब ज्यादातर युवा अपने काम के बारे में अच्छा महसूस करना चाहते हैं। वे ऐसी कंपनी में काम करना चाहते हैं, जो सोसायटी पर बड़ा असर डालती हो। कई एच हेड्स को इंटरव्यूज के दौरान कैंडिडेट्स की ओर से इस तरह के सवालों का सामना करना पड़ा कि कंपनी सोसायटी को वापस लौटाने के लिए क्या योजना बना रही है।
र्पोरेट सोशल रेस्पॉन्सिबिलिटी (सीएसआर) कानूनी बाध्यता हो सकती है, पर यह काफी नहीं है। अब एचआर हेड स्टाफ को चैरिटी के कामों के लिए भुगतान योग्य छुट्टियां देने की प्लानिंग कर रही हैं। नई युवा पीढ़ी कॅरियर में इन टॉप फैक्टर्स पर देती है- मेरे साथ सम्मान के साथ व्यवहार करो, नैतिक व्यवहार करो और पारदर्शिता के साथ संवाद करो। नई युवा महिलाएं बराबरी के हक के लिए मजबूती से दावा पेश करती हैं। ईवाई द्वारा किए गए एक सर्वे से पता लगता है कि नई युवा पीढ़ी नौकरी से जुड़े निर्णय लेने के लिए अपनी मां से राय लेती है। अब कंपनियों को दर्शाना पड़ रहा है कि वे अपने एम्प्लॉइज के भविष्य के लिए चिंतित हैं और भविष्य को अच्छा बनाने के लिए अच्छी प्लानिंग कर रही हैं।
अब कई युवा बंद कमरे से स्टार्टअप लॉन्च कर रहे हैं। वे पैसों से ज्यादा सीखने और आगे बढऩे के अवसरों को तलाशना पसंद करते हैं। अब लगभग सभी कंपनियां युवा एम्प्लॉइज को शिक्षा में सपोर्ट से लेकर एजुकेशन लोन चुकाने में मदद करती हैं। युवाओं को फ्लेक्सिबल वर्किंग कंडिशन्स और परिवार की जिम्मेदारियां संभालने जैसी सुविधाएं देने की कोशिश की जा रही है। अब हर एम्प्लॉई हमेशा खुद को ऑन रखता है, वर्क ईमेल या बिजनेल कॉल्स के लिए भी हमेशा तैयार रहता है।
अब कंपनियों में भी वर्क-लाइफ बैलेंस और फ्लेक्सिबिलिटी का कल्चर बन चुका है। वर्क फ्रॉम होम का कल्चर पुराना हो गया है। अब तो कई कंपनियां एम्प्लॉइज को असीमित भुगतान योग्य छुट्टियां देने को तैयार हैं ताकि एम्प्लॉइज आराम से अपना काम पूरा कर सकें। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि युवा पीढ़ी को पैसे से लेना-देना नहीं है। यदि आप युवा टैलेंट को जॉब दे रहे हैं तो अच्छी सैलेरी के साथ उसे अच्छा अहसास करवाने लायक हर चीज मुहैया करवाने की कोशिश करनी होगी।