वित्त वर्ष 2019-20 में वित्त वर्ष 2018-19 के मुकाबले महिला श्रमिकों की संख्या 29 प्रतिशत बढ़ी। महिला श्रमिकों की संख्या में यह बढ़ोतरी ऐसे समय में हुई है, जब देश में बेरोजगारी दर चरम पर थी और तेजी से बढ़ रही थी। वहीं देश की अर्थव्यवस्था भी कोरोना महामारी की चपेट में थी और ग्रोथ रेट में लगातार गिरावट आ रही थी।
अधिक रोजगार नहीं मिला: श्रम बल में 30.70 करोड़ पुरुष और 11.98 करोड़ महिलाएं शामिल हैं। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि श्रम बल में महिलाओं की भागीदारी बढऩे का यह मतलब नहीं है कि उन्हें अधिक रोजगार या नौकरी मिली है, बल्कि इस सर्वेक्षण में कामकाजी महिलाओं के डेटा की रिकॉर्डिंग अच्छी तरह हुई है।
अंडर रिपोर्टिंग के कारण गिरावट-
2009-10 के श्रम बल सर्वेक्षण से ही महिलाओं के एलएफपीआर में गिरावट दर्ज की जा रही थी। किराना दुकान आदि में काम करने वाली महिलाओं की गिनती लेबर फोर्स में हो ही नहीं रही थी। श्रम बल में महिलाओं की सबसे अच्छी रिकॉर्डिंग हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़ और नॉर्थ-ईस्ट के कुछ पहाड़ी राज्यों में हुई। वहीं बिहार, उत्तरप्रदेश और हरियाणा में सबसे ज्यादा अंडर रिपोर्टिंग हुई।
इस तरह रहा शीर्ष प्रदेशों का प्रदर्शन-
हिमाचल प्रदेश – 65 प्रतिशत
छत्तीसगढ़ – 53.1 प्रतिशत
उत्तर प्रदेश – 17.7 प्रतिशत
हरियाणा – 15.7 प्रतिशत
बिहार – 9.5 प्रतिशत
15 साल से अधिक की महिलाओं का एलएफपीआर 5.5 प्रतिशत बढ़ा।
वर्ष 2019-20 में 1.3 प्रतिशत ही बढ़ी पुरुषों की श्रम बल में हिस्सेदारी।
श्रम बल में 30.70 करोड़ पुरुष और 11.98 करोड़ महिलाएं शामिल हैं ।