एसईओ क्या है
एसईओ की फुल फॉर्म सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन (Search Engine Optimisation) है। वेबसाइट पर ट्रैफिक बढ़ाने के लिए सर्च इंजन बहुत महत्वपूर्ण है। एसईओ स्टॉफ के सामने एक ही चुनौती होती है कि उनकी वेबसाइट सर्च इंजन (उदाहरण के लिए Google, Bing, Yahoo, आदि) की सर्चेज में पहले पेज पर रहे। जितना वो इस उद्देश्य में कामयाब होंगे, उतना ही उनका प्रोडक्ट बिकेगा।
एसईओ की फुल फॉर्म सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन (Search Engine Optimisation) है। वेबसाइट पर ट्रैफिक बढ़ाने के लिए सर्च इंजन बहुत महत्वपूर्ण है। एसईओ स्टॉफ के सामने एक ही चुनौती होती है कि उनकी वेबसाइट सर्च इंजन (उदाहरण के लिए Google, Bing, Yahoo, आदि) की सर्चेज में पहले पेज पर रहे। जितना वो इस उद्देश्य में कामयाब होंगे, उतना ही उनका प्रोडक्ट बिकेगा।
वेबसाइट की रैंकिंग का सीधा प्रभाव इनकम और वैल्यू पर पड़ता है क्योंकि आम तौर पर इंटरनेट यूजर्स गूगल के पहले पेज पर टॉप सर्चेज में आने वेबसाइट को ही चुनते हैं। गूगल जैसे सर्च इंजन अपने यूजर के इच्छित सर्च रिजल्ट्स को दिखाने के लिए लगभग 200 फैक्टर्स को चैक करता है, इन्हीं के आधार पर किसी वेबसाइट या वेबपेज की रैंकिंग तय होती है। इन्हीं फैक्टर्स के आधार पर एसईओ स्टॉफ काम करता है और अपनी वेबसाइट को गूगल व अन्य सर्च इंजन्स में प्रमोट करने का कार्य करता है।
एसईओ फील्ड में नौकरी के लिए आवश्यक स्किल्स
किसी भी डिजीटल कंपनी के लिए दो ही चीजें महत्वपूर्ण होती है, पहला कंटेंट और दूसरा एसईओ स्टॉफ। दोनों एक-दूसरे से इतना अधिक जुड़े हुए हैं कि इन्हें अलग करके नहीं देखा जा सकता। कंटेंट के आधार पर ही एसईओ वेबपेज को प्रमोट करने के लिए स्ट्रेटेजी बनाता है। इसके लिए उसे बेसिक प्रोग्रामिंग लैंग्वेज आनी चाहिए, अंग्रेजी भाषा का ज्ञान हो और कंटेंट को समझ सकता हो, उसे एडिट करने की योग्यता हो।
किसी भी डिजीटल कंपनी के लिए दो ही चीजें महत्वपूर्ण होती है, पहला कंटेंट और दूसरा एसईओ स्टॉफ। दोनों एक-दूसरे से इतना अधिक जुड़े हुए हैं कि इन्हें अलग करके नहीं देखा जा सकता। कंटेंट के आधार पर ही एसईओ वेबपेज को प्रमोट करने के लिए स्ट्रेटेजी बनाता है। इसके लिए उसे बेसिक प्रोग्रामिंग लैंग्वेज आनी चाहिए, अंग्रेजी भाषा का ज्ञान हो और कंटेंट को समझ सकता हो, उसे एडिट करने की योग्यता हो।
कैसे काम करता है एसईओ
किसी भी वेबसाइट पर दो तरह से एसईओ किया जाता है, (1) ऑन पेज एसईओ, (2) ऑफ पेज एसईओ, दोनों में ही कंटेंट पर फोकस किया जाता है परन्तु इनमें कुछ बेसिक अंतर होते हैं।
किसी भी वेबसाइट पर दो तरह से एसईओ किया जाता है, (1) ऑन पेज एसईओ, (2) ऑफ पेज एसईओ, दोनों में ही कंटेंट पर फोकस किया जाता है परन्तु इनमें कुछ बेसिक अंतर होते हैं।
ऑन पेज एसईओ
सबसे पहले चीज तो यही होती है कि अच्छा कंटेंट लिखवाया जाए, उसमें पर्याप्त मात्रा में कीवर्ड्स (जिन वर्ड्स से लोग गूगल में सर्च करते हैं) का प्रयोग हो, गूगल फ्रेंडली यूआरएल हो, इमेज पर कीवर्ड्स व कंटेंट की इन्फॉर्मेशन हो। इसके बाद उस वेबसाइट को गूगल में लिस्ट करवाना होता है। यूजर्स किस वर्ड पर सबसे ज्यादा सर्च कर रहे हैं, उन पर कंटेंट लिखवाना होता है।
सबसे पहले चीज तो यही होती है कि अच्छा कंटेंट लिखवाया जाए, उसमें पर्याप्त मात्रा में कीवर्ड्स (जिन वर्ड्स से लोग गूगल में सर्च करते हैं) का प्रयोग हो, गूगल फ्रेंडली यूआरएल हो, इमेज पर कीवर्ड्स व कंटेंट की इन्फॉर्मेशन हो। इसके बाद उस वेबसाइट को गूगल में लिस्ट करवाना होता है। यूजर्स किस वर्ड पर सबसे ज्यादा सर्च कर रहे हैं, उन पर कंटेंट लिखवाना होता है।
ऑफ पेज एसईओ
दुनिया भर के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर कंटेंट को प्रमोट करवाना ऑफ पेज एसईओ में आता है। इसके अन्तर्गत वेबसाइट के लिए बुकमार्किंग वेबसाइट् पर लिस्टिंग करवानी होती है, दूसरी वेबसाइट्स पर गेस्ट पोस्ट के लिए लिंक बिल्डिंग करनी होती है, वेबसाइट का ब्लॉग डायरेक्ट्री में सब्मिशन करवाना होता है।
दुनिया भर के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर कंटेंट को प्रमोट करवाना ऑफ पेज एसईओ में आता है। इसके अन्तर्गत वेबसाइट के लिए बुकमार्किंग वेबसाइट् पर लिस्टिंग करवानी होती है, दूसरी वेबसाइट्स पर गेस्ट पोस्ट के लिए लिंक बिल्डिंग करनी होती है, वेबसाइट का ब्लॉग डायरेक्ट्री में सब्मिशन करवाना होता है।
देशभर के सभी प्रमुख शहरों में एसईओ ट्रेनिंग के लिए सेंटर्स खुले हुए हैं। इन सेंटर्स में 3 से 6 महीने की अवधि वाले सर्टिफिकेट कोर्स करवाए जाते हैं। कोई भी 12वीं पास या अधिक पढ़ा-लिखा युवा इस फील्ड में आ सकता है। ऑनलाइन वेबसाइट्स के जरिए भी एसईओ की बेसिक जानकारी हासिल कर सकते हैं। देश में निम्न संस्थान भी कोर्स करवाते हैं।
इसके अतिरिक्त कुछ ऑनलाइन कोर्सेज भी उपलब्ध हैं जहां आप अपनी सुविधानुसार एसईओ की ट्रेनिंग ले सकते हैं। ये निम्न प्रकार हैं-