रेडियोलॉजिस्ट शरीर के विभिन्न अंगों का एक्सरे करते हैं। एक्सरे करते समय मरीज और आसपास के लोगों पर रेडियोएक्टिव किरणों का साइड इफेक्ट न हो, इस बात पर निगरानी भी रखते हैं। रेडियोग्राफिक उपकरणों की देखभाल करने के साथ ही रोगियों के रेकॉड्र्स भी मेंटेन किए जाते हैं। एक सफल व कुशल रेडियोलॉजिस्ट के लिए चिकित्सा और साथ ही तकनीकी क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त होनी चाहिए। कुशल कम्प्यूटर कौशल, सकारात्मक दृष्टिकोण, समर्पण संग सेवाभाव, बेहतरीन और धाराप्रवाह संचार कौशल का ज्ञान होना जरूरी है क्योंकि उसे एक टीम के रूप में काम करना होता है। रेडियोलॉजिस्ट में टीम भावना का होना अहम है।
रेडियोलॉजी टेक्नीशियन बनने के लिए विभिन्न प्रकार के कोर्स उपलब्ध हैं। जिसमें सर्टिफिकेट कोर्स से लेकर डिप्लोमा, डिग्री और मास्टर्स तक के कोर्स शामिल हैं। जैसे तीन वर्षीय बैचलर ऑफ रेडियो इमेजिंग टेक्नोलॉजी, तीन वर्षीय बीएससी इन मेडिकल रेडियोलॉजी, डिप्लोमा इन मेडिकल रेडियोलॉजी, दो वर्षीय डिप्लोमा इन रेडियो इमेजिंग टेक्नोलॉजी और एक वर्षीय पीजी डिप्लोमा इन रेडियोलॉजी एंड इमेजिंग टेक्नोलॉजी आदि कई कोर्सेज उपलब्ध हैं।
रेडियोलॉजी टेक्नीशियन से संबंधित स्नातक डिग्री, सर्टिफिकेट तथा डिप्लोमा कोर्स करने के लिए फिजिक्स, केमिस्ट्री व बायोलॉजी में 50 फीसदी अंकों के साथ बारहवीं पास होना जरूरी है। यदि साइंस विषयों में स्नातक हैं तो पीजी डिप्लोमा कोर्स कर सकते हैं। प्रवेश मुख्यत: 12वीं पास अंकों पर आधारित है। साथ ही कुछ संस्थान एंट्रेंस टेस्ट व इंटरव्यू के आधार पर भी चयन करती हैं।
सफल स्नातकों के लिए सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों में काफी संभावनाएं हैं। खास बात यह है कि कॅरियर विकल्प के तौर पर यह लडक़े और लड़कियां दोनों के लिए उपयुक्त है। रेडियोलॉजिस्ट बनने के बाद आप किसी भी नर्सिंग होम, अस्पताल, डायग्नोस्टिक सेंटर्स, अत्याधुनिक अस्पताल या फिर खुद का काम शुरू कर सकते हैं।
कई विशेषज्ञों के अनुसार इस फील्ड के प्रोफेशनल रेडियोग्राफर, रेडियोलॉजिक प्रौद्योगिकीविदों, वैज्ञानिक प्रयोगशाला सहायक, क्लिनिक सहायक, एक्से-रे तकनीशियन, अल्ट्रासाउंड विशेषज्ञों के रूप में काम कर सकते हैं। आधुनिक रोगों के कारण आजकल डॉक्टर रेडियोलॉजिस्ट से एमआरआइ, एंजियोग्राफी और इलाज परीक्षण आदि सभी तरह की मदद लेते हैं।