मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में बुधवार को यहां हुई मंत्रिमण्डल की बैठक में यह फैसला किया गया। सरकार ने शहीद दिलबाग सिंह के दत्तक पुत्र वीरेन्द्र सिंह को ग्रुप डी की सरकारी नौकरी देने का निर्णय लिया है। जिला झज्जर के गांव बोडिया के सिपाही दिलबाग सिंह ने 13 मार्च, 1986 को ऑपरेशन मेघदूत में अपना जीवन बलिदान कर दिया था।
दिलबाग सिंह की शहादत के समय शहीद की विधवा श्रीमती कृष्णा देवी को कोई संतान नहीं थी। शहीद की पत्नी ने पुत्र वीरेन्द्र सिंह को गोद ले लिया। गोद लेते समय वीरेन्द्र सिंह की आयु ढाई वर्ष थी। शहीद की पत्नी ने अपने दत्तक पुत्र को अनुकम्पा आधार पर नियुक्ति देने के लिए अनुरोध किया था। सरकार ने शहीद धर्मपाल के दत्तक पुत्र राजेश कुमार को भी ग्रुप डी की सरकारी नौकरी देने का निर्णय लिया है।
गांव बिरही कलां, तहसील चरखी-दादरी, जिला भिवानी के सिपाही धर्मपाल ने 14 दिसम्बर, 1971 को ऑपरेशन कैक्टस लिली में अपने जीवन का बलिदान दिया था। धर्मपाल की शहादत के समय उनकी विधवा श्रीमती संतरो देवी को कोई संतान नहीं थी। शहीद की पत्नी ने 9 सितम्बर, 1997 को धर्मपाल के सगे बड़े भाई के पुत्र राजेश कुमार को गोद ले लिया। गोद लेते समय श्रीमती संतरो देवी की आयु लगभग 57 वर्ष और राजेश कुमार की आयु लगभग 18 वर्ष थी। शहीद की पत्नी ने अपने दत्तक पुत्र को अनुकम्पा आधार पर नियुक्ति देने के लिए अनुरोध किया था।
सरकार ने शहीद बिजेन्द्र कुमार के भाई रमेश कुमार को भी ग्रुप सी की सरकारी नौकरी देने का निर्णय लिया है। गांव मतानी, जिला भिवानी के सिपाही बिजेन्द्र कुमार ने 26 जून, 2002 को जम्मू एवं कश्मीर में ऑपरेशन पराक्रम में अपना जीवन कुर्बान कर दिया था।