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घर बैठे ये काम कर कमा सकते हैं लाखों रुपए

आप चाहें तो अपने घर पर बैठकर ही काम कर सकते हैं, पर आपको इससे जुड़ी हुई चुनौतियां और फायदे अच्छी तरह से पता होने चाहिए। अपनी फुल-टाइम जॉब छोड़कर ‘वर्क फ्रॉम होम’ अपनाने से पहले जानें इससे जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें।

Dec 08, 2019 / 07:20 pm

जमील खान

Work

आप चाहें तो अपने घर पर बैठकर ही काम कर सकते हैं, पर आपको इससे जुड़ी हुई चुनौतियां और फायदे अच्छी तरह से पता होने चाहिए। अपनी फुल-टाइम जॉब छोड़कर ‘वर्क फ्रॉम होम’ अपनाने से पहले जानें इससे जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें।

रिक्रूटर
सभी रिक्रूटमेंट रोल्स में बेसिक फंक्शन स्क्रीनिंग, हायङ्क्षरग और रिटेनिंग होता है। टेक्नीकल व लीडरशिप रिक्रूटर्स के लिए स्पेसिफिकेशन और एक्सपीरियंस जरूरी है। टेक्नीकल व बिजनेस नॉलेज का महत्व भी बढ़ जाता है। अब स्टार्टअप इस पद के लिए ज्यादा से ज्यादा आउटसोर्स करने लगे हैं। आपके अंदर सही निर्णय लेने की क्षमता होनी चाहिए। कई बड़ी एचआर फम्र्स भी रिक्रूटमेंट रोल्स के लिए अच्छे कैंडिडेट्स की तलाश में रहती हैं।

बेसिक क्वालीफिकेशन : एमबीए (ह्यूमन रिसोर्सेज)
कोर स्किल : क्लाइंट अकाउंट मैनेजमेंट, टैलेंट एक्वजीशन
रिक्रूटमेंट सेक्टर: एचआर और अलाइड जॉब्स, स्टार्टअप्स, एसएमबी, एमएनसी
औसत सैलेरी : 2 से 8 लाख रुपए वार्षिक

सोशल मीडिया मैनेजर
सोशल मीडिया मैनेजर कंपनी को विभिन्न सोशल प्लेटफॉम्र्स जैसे फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और लिंक्डइन पर प्रेजेंट करता है। कई बार इसका मतलब ब्रांड को मजबूत करना भी होता है। इस जॉब प्रोफाइल में सफल होने के लिए सोशल प्लेटफॉर्म की समझ के साथ-साथ उस कंपनी के काम के बारे में जानकारी होना भी बहुत जरूरी है, तभी आप कंटेंट को सही तरह से प्रेजेंट कर सकते हैं।

बेसिक क्वालीफिकेशन : ग्रेजुएट
कोर स्किल : कम्यूनिकेशन, डिजिटल मीडिया प्लेटफॉम्र्स की जानकारी और ब्रांडिंग
रिक्रूटमेंट सेक्टर : एचआर, वेब कन्ज्यूमर, ई-कॉमर्स, मोबाइल एप्स, एंटरप्राइज सॉफ्टवेयर
औसत सैलेरी : 3 से 6 लाख रुपए वार्षिक

वेब डिजाइनर
कोड डवलपर प्रोडक्ट या सॉफ्टवेयर आर्किटेक्ट द्वारा उपलब्ध करवाए गए स्पेसिफिकेशन के आधार पर इंटरनेट या मोबाइल के लिए कोड लिखता है। इस जॉब में सर्टिफिकेट के बजाय स्किल्स और रेग्युलर अपडेशन की जरूरत होती है। कोड डवलपर सबसे बड़े फ्रीलांसर हैं। प्रोफेशनल नेटवक्र्स और ऑनलाइन मार्केट प्लेसेज के अलावा हैकथॉन जैसे इवेंट्स में भी अवसर नजर आते हैं।

बेसिक क्वालीफिकेशन :
कोड नॉलेज, इंजीनियङ्क्षरग
कोर स्किल : कोडिंग, वेब डवलपमेंट
रिक्रूटमेंट सेक्टर : आईटी/आईटीईएस प्रोडक्ट्स, स्टार्टअप्स
औसत सैलेरी : 7 से 14 लाख रुपए वार्षिक

टेक्नीकल राइटर
यहां आपको सिर्फ कंटेंट नहीं लिखना है। इसलिए राइटिंग स्किल्स के साथ-साथ विषय पर मजबूत पकड़ होना भी बहुत जरूरी है। टेक्नीकल डॉक्यूमेंट तैयार करने में भी महारत हासिल होनी चाहिए। आपको टेक्नीकल बातों को सरलता के साथ कहने की कला भी आनी चाहिए। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर टेक्नीकल कंटेंट को प्रेजेंट करने की कला आना भी बहुत जरूरी है। पब्लिकेशन सॉफ्टवेयर और टेक्नीकल टूल्स की समझ आवश्यक है।

बेसिक क्वालीफिकेशन : ग्रेजुएट
कोर स्किल : लेखन, विषय की तकनीकी समझ, डिजिटल मीडिया की जानकारी
रिक्रूटमेंट सेक्टर: आईटी, केपीओ, बीपीओ, एयरोस्पेस, डिफेंस, कन्ज्यूमर टेक्नोलॉजी, मोबाइल।
औसत सैलेरी : 2 से 5 लाख रुपए वार्षिक

बिजनेस डवलपर/ एनालिस्ट/रिसर्चर
रिसर्चर या एनालिस्ट कस्टमर प्रोफाइल, कंपनी प्रोडक्ट, मार्केट पोजीशन एक्सेस करता है। बिजनेस डवलपमेंट के तहत प्री-सेल्स टीम क्लाइंट्स तैयार करती है।

बेसिक क्वालीफिकेशन : एमबीए या एमसीए
कोर स्किल : बिजनेस रिसर्च, एनालिटिक्स
रिक्रूटमेंट सेक्टर : सॉफ्टवेयर सर्विसेज, बी2बी फम्र्स, कन्ज्यूमर टेक्नोलॉजी, स्टार्टअप्स
सैलेरी : 7 से 9 लाख रुपए

डिजिटल मार्केटिंग मैनेजर
इस जॉब प्रोफाइल में आपको वाइबर और स्काइप की मदद से क्लाइंट्स और टीम्स के साथ मीटिंग करनी पड़ती है। इस दौर में मार्केटिंग कैंपेन तो ऑनलाइन ही हो गए हैं। आप ईमेल, कॉल या व्हाट्सएप से टीम के साथ कम्यूनिकेशन कर सकते हैं। यहां आपको मीटिंग्स और क्लाइंट्स को मैनेज करने के लिए खास कोशिश करनी पड़ती है। सफलता के लिए लेटेस्ट मार्केटिंग टूल्स, टेक्नीक्स व टेंड्स की जानकारी होना बहुत जरूरी है। डिजिटल मार्केटिंग का काफी व्यापक असर होता है।

बेसिक क्वालीफिकेशन : एमबीए (मार्केटिंग)
कोर स्किल : इंटरनेट मार्केटिंग, रिसर्च, कम्यूनिकेशन
रिक्रूटमेंट सेक्टर : कन्ज्यूमर गुड्स, लाइफस्टाइल, हॉस्पिटिलिटी, टेक्नोलॉजी
औसत सैलेरी : 3 से 10 लाख रुपए वार्षिक

खुद से पूछें 5 सवाल
-क्या आप ऑफिस की सुविधाएं छोडऩे के लिए तैयार हैं?
आप कॉफी ब्रेक्स और वाटर-कूलर कन्वर्सेशन मिस करेंगे। आप मदद के लिए किसी कलीग को आवाज नहीं दे पाएंगे। आपका नेटवर्क भी सिकुड़ जाएगा। फोन, स्काइप और ईमेल के कारण फेस टू फेस कम्यूनिके शन खत्म हो जाएगा।

-क्या आप घर और काम को अलग-अलग कर सकते हैं?
घर पर पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ को अलग रखना चुनौती है। घर पर अनुशासन के साथ काम करना पड़ेगा। ऑफिशियल मीटिंग्स के लिए अलग जगह निकालनी होगी। खराब इंटरनेट कनेक्शन या घर के किसी सदस्य के बीमार होने से काम प्रभावित होगा।

-क्या आप कॉर्पोरेट गाइडलाइन्स को पूरा कर सकते हैं?
कुछ कंपनियां घर पर खास वर्कप्लेस अनिवार्य कर देती हैं। वे एम्प्लॉइज से अच्छे इंटरनेट कनेक्शन, ब्रॉडबैंड व मोडेम के बैकअप, बेहतरीन वर्क एरिया, शानदार डेस्कटॉप या लैपटॉप, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सेटअप की डिमांड करती हैं।

-क्या यह आपके लिए फुल टाइम जॉब की तुलना में आसान है?
आपका सिर्फ ऑफिस पहुंचने में खर्च होने वाला समय बचता है। कंपनियां सॉफ्टवेयर की मदद से आपका लॉग-इन और लॉग-आउट समय देखती रहती हैं। कंपनियां नियमित अंतराल पर आपके लैपटॉप का स्क्रीनशॉट लेती हैं।

-क्या आप कॅरियर शिफ्ट या वेतन में कटौती के लिए तैयारी हैं?
अगर घर से काम करते हैं तो वह पे-पैकेज नहीं मिलेगा, जो रेग्युलर जॉब में मिल रहा था। कॅरियर ग्रोथ भी कम हो सकती है। सभी जॉब प्रोफाइल्स में ‘वर्क फ्रॉम होम’ का ऑप्शन नहीं होता है। ऐसे में आपको कॅरियर शिफ्ट भी करना पड़ सकता है।

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