मंत्रिमंडल की बैठक के बाद उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा, दिल्ली सरकार, बोर्ड और निगमों द्वारा जिन्हें न्यूनतम मजदूरी दरों पर सीधे अनुबंध पर नियोजित किया गया या दिल्ली सरकार के विभिन्न कार्यों के लिए ठेकेदारों द्वारा जिन्हें नियोजित किया गया उनको चार अगस्त से पहले विद्यमान दरों पर वेतन मिलता रहेगा। दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा चार अगस्त को आम आदमी पार्टी सरकार द्वारा नगर में उच्च मजूदरी तय करने वाली मार्च 2017 की अधिसूचना को निरस्त करने के बाद यह कदम उठाया गया है।
प्रदेश सरकार द्वारा गुरुवार को लिए गए फैसले के अनुसार, अकुशल कामगारों का न्यूनतम वेतन 9,724 रुपए से बढ़ाकर 13,896 रुपए मासिक कर दी गई है। वहीं, अर्धकुशल कामगारों का न्यूनतम मासिक वेतन 10,764 रुपये से बढ़ाकर 15,296 रुपए और कुशल कामगारों का न्यूनतम मासिक वेतन 11,830 रुपए से बढ़ाकर 16,858 रुपए कर दिया गया है। न्यूनतम वेतन की ये दरें एक अप्रैल 2017 से प्रभावी हैं, लेकिन बाद में उच्च न्यायालय ने अपने आदेश के जरिए इसे निरस्त कर दिया था।
उच्च न्यायालय ने कहा कि न्यूनतम मजदूरी में बढ़ोतरी वाली मार्च 2017 की अधिसूचना पूरी तरह से त्रुटिपूर्ण है और यह फैसला जल्दबाजी में लिया गया है। सिसोदिया ने कहा, वेतन में की गई बढ़ोतरी के अनुसार दिल्ली सरकार उन लोगों के वेतन की भरपाई भी करेगी, जिन्हें उच्च न्यायाल के आदेश के बाद दो महीने के दौरान चाहे तो वेतन नहीं मिला या उनके वेतन में कटौती की गई है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार के पास राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में न्यूनतम मजदूरी दरों से ऊपर की राशि देने का पूरा अधिकार है। प्रदेश के मुख्य सचिव को यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि 31 अक्टूबर से पहले प्रत्येक कर्मचारी को पैसा मिल जाना चाहिए ताकि वह सम्मान के साथ दिवाली मना सके। मंत्रिमंडल ने परिवहन विभाग के उस प्रस्ताव को भी मंजूरी दी, जिसमें दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन के कार्ड का इस्तेमाल डीटीसी या क्लस्टर बसों में करने वाले यात्रियों को किराये में 10 फीसदी की रियायत देने को कहा गया है।