इंडिया में स्पोर्ट्स कल्चर का प्रसार अब नए खेलों के लिए दरवाजे खोल रहा है। मुश्किल यह है कि भारत में खेल सुविधाओं का स्तर यूरोपियन या चाइना और रशिया के मुकाबले काफी नीचे है। इसलिए भारत में प्राइवेट रन स्पोर्ट्स एकेडमी का कॉन्सेप्ट खिलाडिय़ों के लिए तो फायदेमंद हो ही रहा है, स्टार्टअप वल्र्ड में एक नए आइडिया को भी जगह दे रहा है। आज का युवा भी खेल में अच्छे अवसर खोजने को लालायित रहता है। यदि आप परंपरागत स्पोर्ट्स से अलग उन खेलों के लिए एकेडमी की शुरुआत करते है जिन्हें इंडिया के स्पोर्ट्स कल्चर में जगह बनानी है तो आप सक्सेसफुल हो सकते हंै।
छोटे बच्चों से करें शुरुआत
स्पोर्ट्स एकेडमी की शुरुआत युवा खिलाडि़य़ों से नहीं, छोटे बच्चों के साथ की जा सकती है। फिर चाहे एकेडमी किसी भी स्पोर्ट्स से सबंधित हो। बच्चों के साथ शुरुआती दिनों में आपको एकेडमी मैनेज करने में अधिक समस्या नहीं होगी। लेकिन बच्चों का ध्यान रखने की आपको अधिक आवश्यकता होगी। प्रयास करें कि एकेडमी में कम से कम दो-तीन लोग आपके साथ हों और बच्चों व अन्य चीजों को आसानी से मैनेज कर सकें। एक बात ध्यान रखें कि एकेडमी के शुरुआती दिनों में सबंधित स्पोर्ट्स के बड़े उपकरणों को खरीदने से भी बचें।
स्पोर्ट्स एकेडमी की शुरुआत युवा खिलाडि़य़ों से नहीं, छोटे बच्चों के साथ की जा सकती है। फिर चाहे एकेडमी किसी भी स्पोर्ट्स से सबंधित हो। बच्चों के साथ शुरुआती दिनों में आपको एकेडमी मैनेज करने में अधिक समस्या नहीं होगी। लेकिन बच्चों का ध्यान रखने की आपको अधिक आवश्यकता होगी। प्रयास करें कि एकेडमी में कम से कम दो-तीन लोग आपके साथ हों और बच्चों व अन्य चीजों को आसानी से मैनेज कर सकें। एक बात ध्यान रखें कि एकेडमी के शुरुआती दिनों में सबंधित स्पोर्ट्स के बड़े उपकरणों को खरीदने से भी बचें।
ट्रेनर हो परफेक्ट
यह जरूरी नहीं है कि कोई प्रोफेशनल प्लेयर ही किसी स्पोर्ट्स एकेडमी को चला सकता है। यदि आप उस खेल में रुचि रखते हैं या फिर अपने स्कूली दिनों में आपने वह खेल खेला है तो भी आप एकेडमी शुरू कर सकते हंै। आपकी एकेडमी में उपकरण बेहतर हो या नहीं हों लेकिन यह जरूरी है कि उस खेल से सबंधित प्रोफेशनल ट्रेनर आपके पास होना चाहिए। एकेडमी की शुरुआत के समय अच्छे से रिसर्च करें और कोशिश करें कि प्रोफेशनल ट्रेनर को एकेडमी प्रारंभ होने से पहले ही अपने साथ जोड़े लें।
यह जरूरी नहीं है कि कोई प्रोफेशनल प्लेयर ही किसी स्पोर्ट्स एकेडमी को चला सकता है। यदि आप उस खेल में रुचि रखते हैं या फिर अपने स्कूली दिनों में आपने वह खेल खेला है तो भी आप एकेडमी शुरू कर सकते हंै। आपकी एकेडमी में उपकरण बेहतर हो या नहीं हों लेकिन यह जरूरी है कि उस खेल से सबंधित प्रोफेशनल ट्रेनर आपके पास होना चाहिए। एकेडमी की शुरुआत के समय अच्छे से रिसर्च करें और कोशिश करें कि प्रोफेशनल ट्रेनर को एकेडमी प्रारंभ होने से पहले ही अपने साथ जोड़े लें।
बॉस्केटबॉल
अमरीकी महाद्वीप के इस फेमस खेल को इंडिया में अब पहचान मिलने लगी है। इस खेल के लिए भारत में ज्यादा प्राइवेट रन एकेडमी नहीं है। यदि आपका बैकग्राउंड इस खेल से जुड़ा है तो आप बॉस्केटबॉल की एकेडमी में हाथ आजमा सकते हैं। शुरुआती दौर में कम निवेश और संसाधन के साथ इसे रन किया जा सकता है।
अमरीकी महाद्वीप के इस फेमस खेल को इंडिया में अब पहचान मिलने लगी है। इस खेल के लिए भारत में ज्यादा प्राइवेट रन एकेडमी नहीं है। यदि आपका बैकग्राउंड इस खेल से जुड़ा है तो आप बॉस्केटबॉल की एकेडमी में हाथ आजमा सकते हैं। शुरुआती दौर में कम निवेश और संसाधन के साथ इसे रन किया जा सकता है।
जिमनास्टिक
भारत में एथलेटिक्स के प्रति जुड़ाव होने के बाद भी यहां खिलाडिय़ों के लिए सुविधाओं का अभाव है। दीप कर्माकर जैसी खिलाडिय़ों के इंटरनेशल मंच पर बेहतरीन प्रदर्शन के बाद अब भारतीय अभिभावक ऐसी एकेडमी की तलाश में हैं, जहां जिमनास्टिक सहित अन्य एथलेटिक्स स्पोर्ट्स की सुविधाएं हों। रिसर्च कर काम शुरू कर सकते हैं।
भारत में एथलेटिक्स के प्रति जुड़ाव होने के बाद भी यहां खिलाडिय़ों के लिए सुविधाओं का अभाव है। दीप कर्माकर जैसी खिलाडिय़ों के इंटरनेशल मंच पर बेहतरीन प्रदर्शन के बाद अब भारतीय अभिभावक ऐसी एकेडमी की तलाश में हैं, जहां जिमनास्टिक सहित अन्य एथलेटिक्स स्पोर्ट्स की सुविधाएं हों। रिसर्च कर काम शुरू कर सकते हैं।
स्क्वॉश
यूरोपियन देशों में यह गेम काफी पसंद किया जाता है। दीपिका पल्लीकल जैसी खिलाडिय़ों ने इसे भारत में भी पहचान दिलाई है। इंडिया में स्क्वॉश स्पोर्ट्स के लिए प्राइवेट रन एकेडमी की संख्या 2-3 ही है, जबकि लोगों में इस खेल के प्रति रुझान बढऩे से इस खेल की एकेडमी की डिमांड बढ़ रही है। यह बेहतर स्टार्टअप हो सकता है।
यूरोपियन देशों में यह गेम काफी पसंद किया जाता है। दीपिका पल्लीकल जैसी खिलाडिय़ों ने इसे भारत में भी पहचान दिलाई है। इंडिया में स्क्वॉश स्पोर्ट्स के लिए प्राइवेट रन एकेडमी की संख्या 2-3 ही है, जबकि लोगों में इस खेल के प्रति रुझान बढऩे से इस खेल की एकेडमी की डिमांड बढ़ रही है। यह बेहतर स्टार्टअप हो सकता है।
आर्टिस्टिक स्वीमिंग
ओलम्पिक में सम्मलित यह खेल भी देश में काफी पसंद किया जाता है। नॉर्मल स्वीमिंग से हटकर इस स्पोर्ट्स की एकेडमी की डिमांड भी काफी बढ़ी है। आप नॉर्मल स्पोर्ट्स स्वीमिंग से अलग आर्टिस्टिक स्वीमिंग एकेडमी को प्राथमिकता दें। इंडिया में आर्टिस्टिक स्वीमिंग एकेडमी केवल मेट्रो शहरों में ही है और उनकी संख्या में भी अधिक नहीं है।
ओलम्पिक में सम्मलित यह खेल भी देश में काफी पसंद किया जाता है। नॉर्मल स्वीमिंग से हटकर इस स्पोर्ट्स की एकेडमी की डिमांड भी काफी बढ़ी है। आप नॉर्मल स्पोर्ट्स स्वीमिंग से अलग आर्टिस्टिक स्वीमिंग एकेडमी को प्राथमिकता दें। इंडिया में आर्टिस्टिक स्वीमिंग एकेडमी केवल मेट्रो शहरों में ही है और उनकी संख्या में भी अधिक नहीं है।
टेबल टेनिस
वर्ष 1988 में ओलम्पिक में शामिल किए गए इस खेल की लोकप्रियता बढ़ी है। फिर भी इसमें नए इंडियन प्लेयर की काफी कमी है। टेबल टेनिस एकेडमी की शुरुआत करना बेहतर विकल्प हो सकता है। यह खेल भारत में जाना-पहचाना है और इसकी एकेडमी शुरु करने के लिए आपको अधिक इंवेस्टमेंट की भी आवश्यकता नहीं होगी।
वर्ष 1988 में ओलम्पिक में शामिल किए गए इस खेल की लोकप्रियता बढ़ी है। फिर भी इसमें नए इंडियन प्लेयर की काफी कमी है। टेबल टेनिस एकेडमी की शुरुआत करना बेहतर विकल्प हो सकता है। यह खेल भारत में जाना-पहचाना है और इसकी एकेडमी शुरु करने के लिए आपको अधिक इंवेस्टमेंट की भी आवश्यकता नहीं होगी।
समय देने की आवश्यकता
इंडिया में स्पोर्ट्स को अधिक महत्व नहीं दिया जाता है। इसलिए यह संभव है कि एकेडमी प्रारंभ करने के दौरान आपको कम बच्चे मिले। लेकिन यदि आप कम से कम एक वर्ष तक एकेडमी को कम बच्चों के साथ भी रन करने में कामयाब होते हैं तो आपको फायदा होगा। आप एकेडमी में बच्चों की संख्या बढ़ाने के लिए अपनी लोकेशन के आसपास के स्कूलों में संपर्क करें। स्कूल मैनेजमेंट से बात कर बच्चों को अपनी एकेडमी में फ्री सैशन के लिए बुलाएं। आपकी एकेडमी जिस भी स्पोर्ट्स से सबंधित है उसकी भविष्य में सफलता और उसमें कॅरियर को लेकर क्या अवसर है इसकी भी जानकारी दें।
इंडिया में स्पोर्ट्स को अधिक महत्व नहीं दिया जाता है। इसलिए यह संभव है कि एकेडमी प्रारंभ करने के दौरान आपको कम बच्चे मिले। लेकिन यदि आप कम से कम एक वर्ष तक एकेडमी को कम बच्चों के साथ भी रन करने में कामयाब होते हैं तो आपको फायदा होगा। आप एकेडमी में बच्चों की संख्या बढ़ाने के लिए अपनी लोकेशन के आसपास के स्कूलों में संपर्क करें। स्कूल मैनेजमेंट से बात कर बच्चों को अपनी एकेडमी में फ्री सैशन के लिए बुलाएं। आपकी एकेडमी जिस भी स्पोर्ट्स से सबंधित है उसकी भविष्य में सफलता और उसमें कॅरियर को लेकर क्या अवसर है इसकी भी जानकारी दें।