जॉब्स

Artificial Intelligence: नहीं हैं आपकी जॉब को खतरा, ऐसे होगा फायदा

Artificial Intelligence: अगले 20 सालों में एआइ हमारे काम करने का अंदाज बदल देगा। लेकिन इससे आपकी जॉब्स को कोई खतरा नहीं है।

Oct 30, 2019 / 12:13 pm

सुनील शर्मा

Artificial Intelligence

Artificial Intelligence: चारों ओर यह चर्चा है कि आर्टिफिशियल इंटेजीलेंस (AI) ने लोगों के सामने कई नई चुनौतियां पेश की हैं। एआइ के कारण लोगों की जॉब्स जा सकती हैं और टेक्नोलॉजी इंसानी दिमाग से बेहतर काम करती है। अगर आप भी यह सोचते हैं तो आप शायद गलती कर रहे हैं। सबसे पहली बात है कि इंटेलीजेंस का आर्टिफिशियल रूप इंसानी इंटेलीजेंस की मदद के लिए तैयार किया गया है, फिर चाहे बात बैंकिंग सेक्टर की हो या मीडिया की।

ये भी पढ़ेः बेटे के कहने पर लिखी बुक ‘टी-20’, अब हर तरफ हो रही है प्रशंसा

ये भी पढ़ेः बनें प्रोस्थेटिक टेक्नीशियन, कृत्रिम अंग बनाकर लोगों को दें नया जीवन

यह भी सही है कि इंडस्ट्रियल ऑटोमेशन के कारण पूरी दुनिया में जॉब्स जा रही हैं। गार्टनर के मुताबिक एआइ का निर्माण सॉफ्टवेयर टूल्स से हुआ है, जिनसे समस्याओं को सुलझाया जा सकता है। हालांकि एआइ का कुछ रूप काफी चतुर नजर आता है, लेकिन यह सोचना काफी अवास्तविक है कि एआइ इंसानी इंटेलीजेंस की बराबरी कर सकता है। एआइ का उपयोग इंसानी जीवन को बेहतर बनाने के लिए होता रहेगा।

ये भी पढ़ेः एनिमेशन में बनाए कॅरियर तो हो जाएंगे वारे-न्यारे, लाखों की होगी तनख्वाह

ये भी पढ़ेः जिन स्टूडेंट्स के पास कुछ नहीं, वे भी जा सकते हैं IIT में

हमारी सोच झलकती है
जब बात हमारी सोच की होती है, तो एमएल मॉडल हमेशा उसी तरह से ऑपरेट होता है, जैसे कि हम इसे प्रशिक्षित करते हैं। अगर आप किसी मॉडल को किसी खास सोच या विचारधारा के साथ प्रशिक्षित करते हैं, तो यह मॉडल खास विचारधारा के साथ हमेशा रहेगा। आपको लगातार अपने एमएल मॉडल को प्रशिक्षित करना पड़ता है और समय आने पर दुबारा भी प्रशिक्षण की जरूरत पड़ती है। सबसे महत्वपूर्ण बात है कि आपको अंतिम उपभोक्ता से फीडबैक के लिए कोई व्यवस्था जरूर करनी चाहिए। इससे पता लग पाता है कि एआइ में किस तरह के सुधार की जरूरत है।

ये भी पढ़ेः सरकारी स्कूल में पढ़ बने इंजीनियर, अमरीका से ली डिग्री, यूं खड़ा किया अरबों का बिजनेस

ये भी पढ़ेः ये 3 मंत्र बदल देंगे आपकी लाइफ, देते ही देखते बन जाएंगे बड़े बिजनेसमैन

बिजनेस प्रॉब्लम्स हल करती है
आमतौर पर आइटी और बिजनेस लीडर्स कन्फ्यूज रहते हैं कि एआइ उनके संस्थान के लिए क्या-क्या कर सकता है। एआइ के बारे में उनकी कुछ गलत धारणाएं भी होती हैं। गार्टनर के मुताबिक बिजनेस लीडर्स को मिथक और वास्तविक को अलग रखकर भविष्य की रणनीति बनानी चाहिए। हर संस्थान को अपनी रणनीति पर एआइ के संभावित प्रभाव का आकलन करना चाहिए। उन्हें यह समझने की कोशिश करनी चाहिए कि किस तरह से यह टेक्नोलॉजी उनकी बिजनेस से जुड़ी समस्याओं को हल करने में मदद कर सकती है। उन्हें वर्कप्लेस पर एआइ को अप्लाई करना चाहिए।

समय और डाटा की जरूरत
इंसानों के अंदर कम जानकारी होने पर भी तुरंत सीखने का गुण है। एमएल मॉडल इसके विपरीत होते हैं। उन्हें प्रशिक्षित करने के लिए काफी डाटा का इनपुट देना पड़ता है। उदाहरण के लिए किसी इंसान को कुछ समय के लिए एक बाईसाइकिल दिखाएं और उसे बताएं कि बाईसाइकिल किस तरह से चलाई जाती है। कुछ दिनों में वह व्यक्ति बाईसाइकिल सीख सकता है। वहीं किसी एक रोबोट को बाईसाइकिल चलाने की ट्रेनिंग देने के लिए लाखों घंटे का समय लगेगा। मशीन्स खुद फैसला नहीं ले पाती हैं और इंसानी भावनाओं को कभी ऑटोमेटेड नहीं किया जा सकता है।

एक काम में ही एक्सपर्ट है
मशीन लर्निंग (एमएल) की कुछ फॉम्र्स एआइ की खास कैटेगिरी में शामिल होती हैं। यह इंसानी दिमाग से प्रेरित हो सकती है। हालांकि ये इंसान के दिमाग की बराबरी नहीं कर सकती है। उदाहरण के लिए इमेज रिकॉग्निेशन टेक्नोलॉजी ज्यादातर इंसानों के मुकाबले काफी एक्यूरेट परिणाम देती है। हालांकि जब किसी गणित की समस्या को सुलझाने की बात आती है तो यह किसी काम की नहीं रह जाती है। एआइ का यह नियम है कि यह एक काम को बहुत अच्छी तरह से कर सकती है, लेकिन परिस्थितियों में थोड़ा-सा भी बदलाव कर देने पर यह पूरी तरह से फेल हो जाती है।

Hindi News / Education News / Jobs / Artificial Intelligence: नहीं हैं आपकी जॉब को खतरा, ऐसे होगा फायदा

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.