नौकरी छोड़ने वालों में 45 लाख लोग 35 साल से कम उम्र के
सर्वे में सबसे बड़ी आश्चर्य की बात यह सामने आई कि इन 60 लाख लोगों में से करीब 45 लाख लोग तो 35 साल से कम उम्र के थे। बता दें अप्रैल में पहली बार पेरोल डाटा रिलीज की गई थी, उसके बाद से यह पहली बार हुआ है कि ईपीएफओ के आंकड़ों के हिसाब से लोग औपचारिक नौकरी छोड़ रहे हैं।
सर्वे में सबसे बड़ी आश्चर्य की बात यह सामने आई कि इन 60 लाख लोगों में से करीब 45 लाख लोग तो 35 साल से कम उम्र के थे। बता दें अप्रैल में पहली बार पेरोल डाटा रिलीज की गई थी, उसके बाद से यह पहली बार हुआ है कि ईपीएफओ के आंकड़ों के हिसाब से लोग औपचारिक नौकरी छोड़ रहे हैं।
60 लाख कर्मचारियों ने ईपीएफओं में योगदान बंद किया
हालांकि दूसरी तरफ सरकार ने यह भी जानकारी दी कि सितंबर 2017 से जून 2018 के बीच एक करोड़ 7 लाख कर्मचारियों ने ईपीएफओ ज्वाइन किया था जिसमें 60 लाख 4 हजार कर्मचारियों ने ईपीएफओ में योगदान करना बंद कर दिया। बता दें सरकार ने हाल में औपचारिक नौकरी के ट्रेंड को आंकने के लिए ईपीएफओ के आंकड़े को बड़ा पैमाना माना है। लेकिन अपनी इस रिपोर्ट में सरकार ने इस बात कोई हवाला नहीं दिया कि इतनी बड़ी संख्या कर्मचारी ईपीएफओ से क्यों नाता तोड़ रहे हैं।
हालांकि दूसरी तरफ सरकार ने यह भी जानकारी दी कि सितंबर 2017 से जून 2018 के बीच एक करोड़ 7 लाख कर्मचारियों ने ईपीएफओ ज्वाइन किया था जिसमें 60 लाख 4 हजार कर्मचारियों ने ईपीएफओ में योगदान करना बंद कर दिया। बता दें सरकार ने हाल में औपचारिक नौकरी के ट्रेंड को आंकने के लिए ईपीएफओ के आंकड़े को बड़ा पैमाना माना है। लेकिन अपनी इस रिपोर्ट में सरकार ने इस बात कोई हवाला नहीं दिया कि इतनी बड़ी संख्या कर्मचारी ईपीएफओ से क्यों नाता तोड़ रहे हैं।
एक सरकारी अधिकारी ने अपना नाम उजागर न करने की शर्त पर कहा कि भारत में नौकरी की स्थिति की सटीक जानकारी हासिल करने की कोई स्पष्ट प्रणाली नहीं है। ईपीएफओ डाटा एक पैमाना मात्र है। ईपीएफओ में अंशदान करने को लेकर कई तरह की परेशानी सामने आती है जैसे कई बार कॉन्ट्रैक्चुअल जॉब का होना, ऑटोमेशन, सैलरी में असमानता आदि।