झुंझुनू

इस गांव में ‘खिलौना’ बन जाता है महंगे से महंगा मोबाइल फोन, मेहमान भी गांव में आने से बचते हैं

आज के इस दौर में भी झुंझुनूं जिले में एक गांव ऐसा है जहां मोबाइल का नेटवर्क नहीं मिलता और बस का कोई साधन नहीं। इससे गांव वाले तो परेशान हैं ही, मेहमान भी इस गांव में आने से बचते हैं।

झुंझुनूMay 02, 2023 / 05:35 pm

Santosh Trivedi

प्रतीकात्मक तस्वीर

संजय रेपस्वाल/गुढागौड़जी। आज के इस दौर में भी झुंझुनूं जिले में एक गांव ऐसा है जहां मोबाइल का नेटवर्क नहीं मिलता और बस का कोई साधन नहीं। इससे गांव वाले तो परेशान हैं ही, मेहमान भी इस गांव में आने से बचते हैं। यह गांव है गुढागौड़जी से 10 किलोमीटर दूर पहाड़ की तलहटी में बसा भोजगढ़। भोजगढ़ गांव को करीब 500 वर्ष पहले खंडेला के युवराज भोजराज सिंह ने बसाया था। उस समय यह गांव पैंतालीसा की राजधानी हुआ करता था। भोजगढ़ में आज 300 घर हैं लेकिन आधुनिकता के क्षेत्र में यह पिछड़ा हुआ है। देश भर भले ही आज ऑन लाइन कार्य हो रहे हैं लेकिन इस गांव के लोग इन सब चीजों से वंचित हैं।

गांव में घुसते ही खिलौना बन जाता है मोबाइल:
ग्रामीण जयवीर सिंह ने बताया कि गांव में करीब 30 से अधिक फौजी हैं। इनमें दो कैप्टन, एक लेफ्टिनेंट और एक कर्नल पद पर हैं। इसके अलावा भी गांव के लोग अन्य सरकारी सेवाओं में हैं। लेकिन हालत यह है कि गांव में घुसते ही मोबाइल फोन खिलौना बन जाता है। कभी-कभी बासडी या रघुनाथपुरा के टावर से नेटवर्क आता है। बाकी नेटवर्क के लिए गांव के लोगों को गुढागौड़जी जाना पड़ता है।

कोई मेहमान भी नही रुकता गांव में:
ग्रामीणो का कहना है कि गांव में मोबाइल नेटवर्क की समस्या और बस का साधन नहीं होने के कारण कोई मेहमान यहां ज्यादा देर रुकना पसंद नहीं करता।

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ग्रामीण बोले:
गांव में मोबाइल टावर नही होने के कारण ऑनलाइन क्लास लेने वाले बच्चों को बहुत परेशानी होती है। मोबाइल गांव के बाहर जाने पर ही काम में लिए जाते हैं।
-जयवीर सिंह

कई बार प्रशाशन से मांग कर चुके हैं कि गांव में टावर लगना चाहिए। चुनावों में काफी राजनेता भी यह आश्वासन दे चुके हैं। लेकिन कोई असर नहीं होता। ग्रामीण मोबाइल टावर के बिना काफी परेशानी उठा रहे हैं।
– विक्रम

गांव से होकर कोई साधन नहीं होने के कारण गांव के लोग बड़ी समस्या से जूझ रहे हैं। मुख्य बाजार गुढागौड़जी लगता है जिसकी दूरी 10 किलोमीटर है। बाजार में जाने के लिए भी पैदल या निजी साधन से जाना पड़ता है।
-लक्ष्मण सिंह

गांव से बाजार जाने के लिए टैंपो किराए पर लेकर जाते हैं। टैंपो में क्षमता से ज्यादा लोग बैठ कर जाते हैं। इससे हादसे का डर बना रहता है।
-पवन सिंह

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