झुंझुनू

अनोखा सरस्वती मंदिर: यहां घंटी और वाद्य यंत्र बजाना सख्त मना, गणितज्ञ आर्यभट्ट समेत 1267 महापुरुषों की भी मूर्तियां

Unique Temples: प्रदेश में एक ऐसा मंदिर है जहां घंटी नहीं बजाई जाती है। यहां पर किसी भी तरह के शोर पर पूरी तरह से पाबंदी है। खजुराहो की तर्ज पर बना मां सरस्वती का यह मंदिर झुंझुनूं जिले के पिलानी में बिट्स कैंपस में है।

झुंझुनूSep 01, 2023 / 10:50 am

Akshita Deora

पंकज कुमार/पिलानी (झुंझुनूं ). Unique Temples: प्रदेश में एक ऐसा मंदिर है जहां घंटी नहीं बजाई जाती है। यहां पर किसी भी तरह के शोर पर पूरी तरह से पाबंदी है। खजुराहो की तर्ज पर बना मां सरस्वती का यह मंदिर झुंझुनूं जिले के पिलानी में बिट्स कैंपस में है। खास बात यह है कि इस मंदिर में मां सरस्वती जी की प्रतिमा के साथ ही गणितज्ञ आर्यभट्ट व साइंटिस्ट होमी भाभा जैसे कई महापुरुषों की प्रतिमाएं भी लगी हुईं हैं।

मंदिर में इसलिए नहीं बजाई जाती घंटी
माता सरस्वती को ज्ञान, कला और संगीत की देवी माना जाता है। कहा जाता है कि सरस्वती जी की साधना से मन को शांति मिलती हैं। यही कारण है कि यहां कभी भी घंटी या कोई और बाद्य यंत्र नहीं बजाया जाता है। मंदिर में एक विंड चाइम है, जिसे खास मौकों पर बजाने की परंपरा है। इसलिए यहां शांति बनाए रखने के लिए आरती के समय या बाद में भी किसी तरह का वाद्य यंत्र नहीं बजाया जाता है।

यह भी पढ़ें

Sawan 2023: ऐसा शिवालय, जहां महादेव से पहले रावण की होती है पूजा




देश- दुनिया के 1267 महापुरुषों की प्रतिमाएं
पिलानी का यह मंदिर दुनिया का ऐसा एकमात्र मंदिर है। जिसमें देश पूरी दुनिया के करीब 1267 महापुरुषों की प्रतिमाएं भी बनाई गई हैं। यह सभी प्रतिमाएं मंदिर के शिखर के चारों ओर लगी हैं। यह प्रतिमाएं ऐसे महापुरुषों की हैं, जिन्होंने शिक्षा, नॉलेज, कला, साहित्य, संगीत, विज्ञान आदि के क्षेत्र में असाधारण कार्य किया। इनमें गणितज्ञ आर्यभट्ट, होमी जहांगीर भाभा, मैडम क्यूरी जैसे वैज्ञानिक, महात्मा गांधी, सुभाष चंद्र बोस सहित अनेक महापुरुष शामिल हैं।

इसलिए बनवाया मंदिर
इस मंदिर को देश के बड़े औद्योगिक घराने बिरला परिवार ने 1956 में बनवाया था। इसके पीछे बड़ी वजह वास्तुदोष बताया जाता है। शेखावाटी के संत बावलिया बाबा ने बिट्स कैम्पस के दक्षिणमुखी होने पर बिरला परिवार को इसके सामने सरस्वती जी का मंदिर बनाने की सलाह दी थी। बिरला परिवार ने देश के कई शहरों में लक्ष्मी नारायण के मंदिर बनवाए, लेकिन सरस्वती का यह एक मात्र मंदिर अपने शहर पिलानी में ही बनवाया।
यह भी पढ़ें

अनोखा शिव मंदिर: यहां गंगाकुंड में स्नान पर मिलता है पाप मुक्ति प्रमाण-पत्र



300 से अधिक श्रमिक और शिल्पकार लगे
300 से अधिक श्रमिकों और शिल्पकारों की मदद से चार साल बाद 1960 में ये मंदिर बनकर तैयार हुआ। 25 हजार वर्ग फीट में पहले इस मंदिर को मकराना के सफेद संगमरमर से बनाया गया है। मंदिर में 70 स्तंभ हैं। मां सरस्वती की खड़ी हुई मुद्रा की प्रतिमा को साल 1959 में कोलकाता से मंगवाया गया था। उस वक्त इसके निर्माण पर 23 लाख रुपए खर्च हुए।

संबंधित विषय:

Hindi News / Jhunjhunu / अनोखा सरस्वती मंदिर: यहां घंटी और वाद्य यंत्र बजाना सख्त मना, गणितज्ञ आर्यभट्ट समेत 1267 महापुरुषों की भी मूर्तियां

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.