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Krishna Janmashtami 2023: दरगाह में कौमी एकता की मिसाल, जन्माष्टमी पर बजते हैं शंख-घड़ियाल

Krishna Janmashtami 2023: झुंझुनूं से 43 किलोमीटर और चिड़ावा कस्बे से दस किलोमीटर दूर नरहड़ गांव में स्थित हाजिब शक्करबार शाह की दरगाह साम्प्रदायिक सौहार्द की अनूठी मिसाल है। सालाना उर्स हो या फिर जन्माष्टमी का मेला।

झुंझुनूSep 07, 2023 / 03:56 pm

Akshita Deora

चिड़ावा. Krishna Janmashtami 2023: झुंझुनूं से 43 किलोमीटर और चिड़ावा कस्बे से दस किलोमीटर दूर नरहड़ गांव में स्थित हाजिब शक्करबार शाह की दरगाह साम्प्रदायिक सौहार्द की अनूठी मिसाल है। सालाना उर्स हो या फिर जन्माष्टमी का मेला। यहां जायरीन (श्रद्धालुओं) का सैलाब उमड़ता है। खास बात यह है कि यहां सभी धर्म के लोग आते हैं और अपनी-अपनी धार्मिक पद्धति से पूजा-अर्चना करते हैं।

दरगाह में जन्माष्टमी पर होती है आरती
दरगाह में हर साल जन्माष्टमी पर मेला भरता है। यह तीन दिन तक चलता है। जन्माष्टमी पर दरगाह में मंदिरों की तरह ही शंख-घडिय़ाल आदि बजाए जाते हैं। भगवान श्रीकृष्ण के भजन होते हैं। दरगाह में एक तरफ हिंदू श्रद्धालु आरती करते हैं, दूसरी तरफ मुस्लिम समुदाय के लोग नमाज पढ़ते हैं।

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देशभर से आते हैं लोगनरहड़ में सालाना उर्स एवं जन्माष्टमी पर देशभर से हजारों की संख्या में जायरीन एवं श्रद्धालु बाबा के दर पर हाजिरी लगाने पहुंचते हैं। इनमें मुख्यत: राजस्थान, मध्य प्रदेश, आंध्रप्रदेश, उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली से ज्यादा लोग आते हैं। दरगाह में आने वाले जायरीन-श्रद्धालु मन्नत का धागा बांधते हैं। मन्नत पूरी होने पर इस धागे को खोलते भी हैं।
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दरगाह में होती है पूजा और इबादतदरगाह में हिंदू महिलाएं पूजा की थाली सजाकर लाती है और आरती करती हैं। वहीं मुस्लिम जातरू परंपरागत तरीके से इबादत करते हैं। हिंदू समाज के लोग बच्चों के मुंडन संस्कार भी यहां करते हैं। सालाना उर्स एवं जन्माष्टमी मेले में की जानी व्यवस्था में स्थानीय प्रशासन के अलावा, वक्फ बोर्ड, खादिम परिवार व ग्राम पंचायत का भी पूरा सहयोग रहता है।

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