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सुनील जाखड़ ने तलवारबाजी में जीते दो पदक, रोचक है इस खेल में आने की कहानी

जाखड़ ने गोवा में चल रहे नेशनल गेम्स में लगातार दो स्वर्ण पदक जीते हैं। पहले सिंगल्स में तमिलनाडू के खिलाडी आरएस सर्जिन को हराकर स्वर्ण पदक जीता। दूसरे दिन टीम इवेंट में स्वर्ण पदक जीता।

झुंझुनूOct 31, 2023 / 04:31 pm

Rajesh

सुनील जाखड़


जब मैं अठारह साल का हो गया था तब जीवन में पहली बार तलवार देखी थी। उसको उठाकर देख रहा तो कोच ने कहा आपकी लम्बाई अच्छी है, इस खेल में आगे बढ़ सकते हो। उसी दिन से तलवारबाजी शुरू कर दी। अब इसमें हर साल स्वर्ण व रजत पदक जीत रहा हूं। अब सपना पेरिस में होने वाले ओलम्पिक में देश के लिए पदक जीतना है। यह कहना है राजस्थान के नीमकाथाना जिले के खेतड़ी उपखंड के सुनारी गांव निवासी सुनील जाखड़ का। जाखड़ ने गोवा में चल रहे नेशनल गेम्स में लगातार दो स्वर्ण पदक जीते हैं। पहले सिंगल्स में तमिलनाडू के खिलाडी आरएस सर्जिन को हराकर स्वर्ण पदक जीता। दूसरे दिन टीम इवेंट में स्वर्ण पदक जीता। अभी वे आर्मी स्पोर्ट्स ट्रेनिंग सेंटर पुणे में तैयारी कर रहे हैं। जीत के बाद राजस्थान पत्रिका ने उनसे बात की, पेश है प्रमुख अंश।

सवाल: इस खेल में कैस आए?
जवाब: मैं तो गांव में वॉलीबाॅल खेलता था। मेरा चयन सेना में हो गया। सेना की तरफ से वॉलीबाॅल खेलने लग गया। एक दिन सेना की टीम का चयन होना था। ट्रायल चल रहे थे, वहां पर तलवार को उठाकर देख रहा था, कोच ने फिटनेस व लम्बाई देखकर वॉलीबाॅल की जगह मुझे तलवारबाजी की टीम में शामिल कर लिया।
सवाल: आगे की क्या तैयारी है?

जवाब: अब फैडरेशन के मैच होंगे, सबसे पहले उसमे स्वर्ण पदक जीतने का लक्ष्य है। फिर दूसरा लक्ष्य एशियन चैम्पियनशिप और फिर ओलम्पिक में पदक जीतने का सपना है। देशवासियों की दुआ रही तो यह सपना भी पूरा होगा। भारत में खेलों का माहौल काफी बेहतर हो रहा है। अंतरराष्ट्रीय स्तर के कोच व मैदान मिल रहे हैं। डाइट पर भी पूरा ध्यान दिया जा रहा है।
सवाल: अब तक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कितने पदक जीते?
जवाब: वर्ष 2022 में लंदन में हुई कॉमनवेल्थ फेंसिंग चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीता। वर्ष 2019 में साउथ एशियन गेम्स में एक साथ दो स्वर्ण पदक जीते। कुल सत्रह स्वर्ण, पांच रजत और तीन कांस्य पदक जीत चुका।
सवाल: सबसे ज्यादा योगदान किसका रहा?

जवाब: मेरे पहले कोच धर्मेन्द्र सिंह व यूक्रेन के कोच डेनियल ने मेरी तकनीक सुधारी। मुझे जीतना सिखाया। मां शांति देवी, पिता बीरबल सिंह व पत्नी ज्योति का खास योगदान रहा।

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