जी हां… सब कुछ आसान नहीं था मगर मां के हैसले से बेटी ने कुश्ती में पदकों की झड़ी लगा दी। 2011 में झुंझुनूं के गांव खुडाना की मणी देवी पर पति रामप्रसाद मीणा की मौत के बाद आफतों का पहाड़ टूट पड़ा। पांच बच्चों की पढ़ाई और पेट पालने के लिए भेड़-बकरियां बेचनी पड़ीं। खेतों में मजदूरी करके बच्चों को बड़ा किया। तभी मां ने 15 वर्षीय बेटी बलकेश की आंखों में कुछ सपने देखे और उसे कुश्ती के लिए प्रेरित किया। बेटी भी मां की मुफलिसी को जेहन में रख कड़ी मेहनत के बाद कुश्ती में राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर चमकी। वह अब बलकश 6 स्वर्ण पदक, 7 रजत पदक और दो कांस्य पदक अपनी मां की झोली में डाल चुकी है।
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दिल्ली पुलिस में भर्ती की तैयारी
बलकेश पांच भाई बहनों में चौथे नंबर की है। वर्तमान में वह सीकर में रहकर दिल्ली पुलिस में भर्ती की तैयारी कर रही है। बलकेश का एक छोटा भाई मैनपाल आर्मी में है जो सिलीगुड़ी पश्चिम बंगाल में ड्यूटी कर देश की सेवा कर रहा है।
बचपन से कुश्ती का जुनून
बलकेश 10 साल की उम्र से ही कुश्ती में रुचि लेने लगी। उसने 2012 से बगड़ पुष्कर व्यायाम शाला में कुश्ती संघ के प्रदेश अध्यक्ष उम्मेदसिंह झाझडिय़ा से कुश्ती के गुर सीखे। वह प्रतिदिन साइकिल से पुष्कर व्यायाम शाला में प्रशिक्षण लेने आने लगी और 10 साल में 15 से ज्यादा पदक जीत लिए। बलकेश ने चार माह का प्रशिक्षण लेकर नवम्बर 2012 में हुई राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में भाग लेकर 51 किलो भार में रजत पदक जीता।
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बलकेश के स्वर्ण पदक और ट्रॉफियां
2015 में सीकर में हुई राज्यस्तरीय जूनियर कुश्ती में स्वर्ण पदक
2017 में झुंझुनूं में इंटर कॉलेज प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक
2018 में नाथद्वारा में हुई राज्य स्तरीय जूनियर कुश्ती में स्वर्ण
2018 में सीकर में राज्य स्तरीय अंडर 23 कुश्ती प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक
2018 में नवलगढ़ में शेखावाटी कुश्ती में शेखावाटी केसरी का खिताब जीता
2019 व 2020 में आबूसर में कुश्ती प्रतियोगिता में ट्रॉफी जीती