इस स्टेडियम पर करीब चार करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। यहां अब वॉलीबॉल के खिलाड़ी तैयार होंगे। इसके अलावा यहां कुश्ती, बैडमिंटन, टेबल टेनिस सहित इंडोर के अन्य खेल हो सकेंगे। पहले चरण का कार्य पूरा होने के बाद यहां एक्सपर्ट कोच भी लगाए जाएंगे।
किठाना व आस-पास के गांवों में वॉलीबॉल का काफी क्रेज है। मेलों में भी वॉलीबॉल की प्रतियोगिता होती रहती है। लेकिन अभी खिलाड़ी खुले में वॉलीबॉल की तैयारी करते हैं। प्रतियोगिता भी खुले में होती है। इसमें हवा सहित कई कारणों से परिणाम प्रभावित हो जाता है।
इसके अलावा अधिकतर अंतरराष्ट्रीय स्तर के मुकाबले अब आउटडोर की बजाय इनडोर में होने लग गए। ऐसे में इनडोर में तैयारी करने से खिलाड़ियों को फायदा होगा। खिलाड़ियों को इनडोर व आउटडोर दोनों की सुविधा मिल जाएगी। झुंझुनूं जिला मुख्यालय के स्वर्ण जयंती स्टेडियम में खेलो इंडिया के तहत सिंथेटिक ट्रेक व इंडोर स्टेडियम का निर्माण हो चुका।
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यहां होती है नेशनल प्रतियोगिता
झुंझुनूं जिला खेलों में काफी आगे है। अनेक गांव व कस्बे ऐसे हैं जहां राज्य व नेशनल स्तर की खेलकूद प्रतियोगिता हो रही है। रामदेव मेला नवलगढ़, देवरोड, हमीनपुर, सांवलोद, बीबासर सहित अनेक गांवों में वॉलीबॉल की स्टेट व नेशनल प्रतियोगिता हर साल होती है। देवरोड में तो जूनियर नेशनल भी हो चुकी, इसमें पूरे देश के खिलाड़ी आए थे।लेकिन दोरासर में कई साल से बढ़ रहा इंतजार
जिला मुख्यालय के निकट दोरासर गांव में राजस्थान का पहला खेल विवि कागजों से बाहर नहीं आ रहा। कई सरकार बदली, कई मुखिया बदले, लेकिन खेल विवि के धरातल पर किसी ने कार्य नहीं किया। अब नई सरकार से फिर उम्मीद जगी है। खिलाड़ियों का कहना है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बजट 2012 में पीपीपी मोड पर खेल विवि की घोषणा की। इसके अगले बजट 2013 में पीपीपी की जगह सरकारी खेल विवि की घोषणा की। कांग्रेस सरकार चली गई। राज भाजपा का आ गया। तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सरकार ने वर्ष 2018-19 के बजट में घोषणा संख्या 120 में खेल विवि की जगह राज्य क्रीडा संस्थान की स्थापना की घोषणा की। साथ ही यह भी दावा किया कि इस पर 31 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। लेकिन मौके पर कुछ नहीं हुआ। इसके बाद फिर कांग्रेस की सरकार पांच साल तक रही। अशोक गहलोत मुख्यमंत्री बने, लेकिन खेल विवि के लिए कुछ नहीं हुआ।