झुंझुनूं। एक डॉक्टर ने मृत घोषित कर दिया। दूसरे ने कागजों में पोस्टमार्टम कर दिया। संस्था वाले अंतिम संस्कार के लिए ले गए। चिता पर लेटाते ही उसकी सांसे फिर चलने लगी और हिलने लगा। यह अजीब वाकया गुरुवार को झुंझुनूं के बीडीके अस्पताल में सामने आया है। डॉक्टरों का ऐसा कारनामा सामने आने के बाद चिकित्सा महकमे में हड़कंप मच गया। जिला कलक्टर ने पूरी मामले की जांच के लिए समिति गठित की है। साथ ही रात 12 बजे बाद पीएमओ सहित तीन चिकित्सकों निलंबित कर दिया गया। लेकिन, इस घटना ने चिकित्सकों की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए है।
जिला कलक्टर रामावतार मीणा की अनुशंसा पर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की प्रमुख शासन सचिव निशा मीणा ने देर रात बीडीके के पीएमओ डॉ संदीप पचार, डॉ योगेश कुमार जाखड़ व डॉ नवनीत मील को निलम्बित कर दिया। डॉ जाखड मंडेला में कार्यरत है, लेकिन कार्यव्यवस्था के तहत उसे बीडीके में लगा रखा था। निलम्बन काल के दौरान डॉ पचार का मुख्यालय सीएमएचओ ऑफिस जैसलमेर, डॉ जाखड़ का मुख्यालय सीएमएचओ ऑफिस बाडमेर व डॉ नवनीत मील का मुख्यालय सीएमएचओ ऑफिस जालोर किया गया है।
ये है पूरा मामला
झुंझुनूं के बगड़ स्थित मां सेवा संस्थान के आश्रय गृह में रहने वाले रोहिताश्व (47) की गुरुवार दोपहर तबीयत बिगड़ गई। वह बोल व सुन भी नहीं सकता। तबीयत बिगड़ने पर उसको दोपहर में झुंझुनूं के बीडीके अस्पताल लाया गया। अस्पताल की इमरजेंसी में इलाज शुरू किया गया। यहां इलाज के दौरान दोपहर करीब डेढ़ बजे डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। इसके बाद उसे अस्पताल की मोर्चरी में रखे डीप फ्रीज में भी रखवा दिया गया। करीब दो घंटे बाद पोस्टमार्टम किया गया।
बाद में पुलिस को बुलाकर पंचनामा बनाया गया। डॉक्टरों ने मृत मानकर व्यक्ति को मां सेवा संस्थान के पदाधिकारियों को सौंप दिया। संस्था के लोग देर शाम व्यक्ति को एम्बुलेंस की मदद से श्मशान घाट ले गए। यहां पर उसे चिता पर रख दिया गया। इस दौरान व्यक्ति की सांस चलने लगी। उसके शरीर में हरकत देखकर वहां मौजूद लोग भी डर गए। इसके बाद उसे तुरंत एंबुलेंस बुलाकर वापस अस्पताल लाया गया। अब उसका बीडीके अस्पताल में इलाज चल रहा है। आईसीयू में भर्ती किया गया है। अभी हालत सामान्य बताई जा रही है।