निजी चिकित्सा संस्थान व मेडिकल स्टोर संचालकों को इलाज करवाने व दवाई लेने के लिए आने वाले टीबी रोगियों की सूचना नहीं देने पर छह माह की जेल व जुर्माना भुगतना होगा।इस सम्बंध में केन्द्र सरकार की ओर से हॉल ही में निर्देश जारी किए गए हैं।केन्द्र सरकार की ओर से देश को 2025 तक टयूबर क्लोसिस मुक्त बनाने के अहम् निर्णय में निजी चिकित्सकों की ओर झटका दिया जा रहा है। हालत यह है कि आदेशों के बावजूद निजी चिकित्सकों की ओर से अस्पताल में इलाज के लिए आने वाले रोगियों की सूचना देने में लापरवाही बरती जा रही है।जबकि नियम यह है कि रोगियों का उपचार करने वाले प्राइवेट चिकित्सकों को इनकी सूचना क्षय रोग विभाग को देना जरूरी है।ऐसे में जिले में इस रोग से पीडि़त रोगियों की सही संख्या का पता नहीं चलने से देश को टीबी मुक्त बनाने के कार्यक्रम पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। जिले में करीब सौ निजी चिकित्सक टीबी के मरीजों का उपचार कर रहे हैं। महज कुछ ही रोगियों की सूचना विभाग को दे रहे हैं।
सूचना देना अनिवार्य
राष्ट्रीय क्षय नियंत्रण कायक्रम के अंतर्गत वर्ष 2012 से राजकीय चिकित्सा संस्था, स्वयंसेवी संस्था, निजी चिकित्सा संस्था, प्राइवेट प्रेक्टिशनर की ओर से क्षय रोगियों की सूचना प्रतिमाह सीएमएचओ को देना अनिवार्य किया गया है। इसके लिए मई 2012 में गजट नोटिफिकेशन प्रकाशित किया गया था। नोटिफिकेशन के माध्यम से सभी हेल्थ प्रोवाइडर डॉक्टर्स व निजी अस्पतालों को उनके यहां आने वाले टीबी रोगियों की सूचना देना अनिवार्य किया गया है। प्रदेश में जिला स्तर पर जिला क्षय अधिकारी एवं ब्लॉक स्तर पर खण्ड चिकित्सा अधिकारी को टीबी नोटिफिकेशन के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है। निजी चिकित्सा संस्थाएं, निजी पैथालॉजी लेब एवं निजी चिकित्सकों को अनिवार्य रूप से क्षय रोगियों के रोग निदान एवं उपचार की जानकारी का नोटिफिकेशन अनिवार्य रूप से संबंधित नोडल अधिकारी को करवाने के निर्देश दिए जा चुके हैं।
यह है स्थिति
वर्ष सैम्पल पॉजीटिव
2016 15261 1154
2017 16935 1106
इनका कहना है…
सरकार के निर्देशों के बावजूद टीबी रोगियों की सूचना देने में लापरवाही बरती जा रही है।अब ऐसा होने पर सजा व जुर्माना भुगतना होगा। -डॉ. नरोत्तम जांगिड़, जिला क्षय रोग अधिकारी झुंझुनूं।