बिछड़ने पर साथी कार सेवकों ने बोली सवामणी
24 अक्टूबर 1990 में वह 46 कार सेवकों के जत्थे के साथ रवाना हुए थे। जैसे तैसे वह मनकपुर रेलवे स्टेशन तक पहुंचे थे। वहीं से पैदल के रास्ते से रवाना हुए। इस दौरान उन्हें जंगलों व गन्नों के खेतों में छुपाना पड़ा। रात्रि में चलते थे और दिन में गन्नों के खेतों में छुप कर रहते थे। ऐसे करके 31 अक्टूबर को सरयू पुल पर पहुंचे। तीन-चार दिन कार सेवा के बाद पुलिस के लाठी चार्ज में वह गंभीर रूप से घायल हो गए। उनके आंख में चोट लगने से एक आंख की रोशनी चली गई।
झुंझुनू•Jan 06, 2024 / 12:52 pm•
Jitendra
कारसेवा में गंवाई एक आंख की रोशनी, मंदिर निर्माण तक बाल नहीं कटवाने का लिया था प्रण, अब पूरी होगी प्रतिज्ञा
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