scriptएक सदी पहले बसा था बास कालियासर | jhunjhunu news | Patrika News
झुंझुनू

एक सदी पहले बसा था बास कालियासर

मलसीसर.झुंझुनंूू जिले के मलसीसर उपखण्ड से 8 किमी दूरी पर स्थित गांव बास कालियासर का इतिहास लगभग 110 साल पुराना है। गांव के अनुसार बास कालियासर गांव राजु राम नाम के व्यक्ति ने बसाया था। गांव के बीच एक बालाजी मन्दिर बना हुआ है जो लोगों के लिए आस्था का केन्द्र है। गांव में प्राथमिक स्तर का एक राजकीय विद्यालय है एवं सार्वजनिक कुंए से घर-घर पीने का पानी सप्लाई किया जाता है।

झुंझुनूNov 09, 2020 / 10:22 am

Rajesh

एक सदी पहले बसा था बास कालियासर

एक सदी पहले बसा था बास कालियासर

आओ गांव चले- बास कालियासर
एक सदी पहले बसा था बास कालियासर

मलसीसर.झुंझुनंूू जिले के मलसीसर उपखण्ड से 8 किमी दूरी पर स्थित गांव बास कालियासर का इतिहास लगभग 110 साल पुराना है। गांव के अनुसार बास कालियासर गांव राजु राम नाम के व्यक्ति ने बसाया था। गांव के बीच एक बालाजी मन्दिर बना हुआ है जो लोगों के लिए आस्था का केन्द्र है। गांव में प्राथमिक स्तर का एक राजकीय विद्यालय है एवं सार्वजनिक कुंए से घर-घर पीने का पानी सप्लाई किया जाता है। वर्तमान में गांव के करीब 70 लोग सरकारी कर्मचारी है। गांव की आबादी लगभग 1000 है एवं करीब 90 पक्के मकान बने हुए है। गांव में काफी समय पहले एक कुआ बना था जो देखभाल के अभाव में जर्जर हो गया है।
ग्रामीण खेती पर निर्भर लेकिन खारा पानी बना परेशानी
गांव के लोगों के बताया कि क्षेत्र के किसान लगभग खेती पर निर्भर है। सालभर में एक फसल कर पाते है। कुछ समय पहले लोगों ने फसल के लिए खेतों में कुए बनवाए थे। लेकिन पानी अत्यधिक खारा होने के कारण खेतों की सिंचाई नहीं हो पाती।
ग्रामीणों ने पौधरोपण कर निखारा विद्यालय
गांव में स्थित प्राथमिक स्तर में स्थानीय लोगों ने आपसी सहयोग से पौधरोपण कर शानदार स्थल बनाया है। 6 माह पूर्व गांव के लोगों ने विद्यालय प्रांगण में विभिन्न तरह के करीब 700 पौधे लगाए। जिनकी प्रतिदिन गांव के लोगों द्वारा देखभाल की जाती है।
समय के साथ हुआ सुविधाओं में विस्तार
गांव में समय के साथ-साथ सड़क, बिजली एवं शिक्षा जैसी सुविधाओं का विस्तार होता गया। लेकिन पीने के पानी की समस्या गांव के लोगों के लिए अभी भी बनी हुई है। गांव के लगभग घरों में बरसात के पानी को एकत्रित करने के लिए कुंड बने हुए है। जिसका पानी पीने के काम में लिया जाता है। भूमिगत पानी में अत्यधिक मात्रा में फ्लोराईड होने के कारण पीने के काम में नहीं लिया जा सकता है।
क्रिकेटर गोस्वामी ने दिलाई खास पहचान
क्रिकेटर सुरेश गोस्वामी ने खेल के क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन कर अपने गांव बास कालियासर का नाम रोशन किया है। गोस्वामी कई नेशनल व इन्टरनेशनल क्रिकेट मैच खेल चुका है। श्रीलंका, दक्षिणी अफ्रीका एवं नेपाल में किक्रेट मैच खेलने के बाद 2017 में आयोजित हरियाणा में टी-20 नाइट ओपन टूर्नामेन्ट में गोस्वामी ने बतौर कप्तान जिम्मेदारी संभाली थी। जयपुर में खेले गए रजवाड़ा क्रिकेट लीग में भी सुरेश कुमार जैसलमेर की टीम का हिस्सा बन चुके है। कोरोना महामारी में लोगों को बचाने के उपाय सोशल मिडिया एवं गांव-गांव के घर-घर में जाकर लोगों को महामारी से बचने के उपाय बताने के प्रशसंनीय कार्य को देखते हुए मदर टेरेसा फाण्डेसन संस्थान जयपुर ने कोराना योद्धा के रूप में सम्मानित किया था। समाज के प्रति लगाव व उत्साह को देखते हुए वॉइस अगेन्सट क्राइम और क्रप्शन झुंझुनूं ने उन्हे जिला सचिव के रूप में भी नियुक्त किया है।
(कल पढ़े गांव मलसीसर)

एक सदी पहले बसा था बास कालियासर
एक सदी पहले बसा था बास कालियासर
एक सदी पहले बसा था बास कालियासर

Hindi News / Jhunjhunu / एक सदी पहले बसा था बास कालियासर

ट्रेंडिंग वीडियो