गांव बलवंतपुरा को किसी जमाने में मास्टरों का गांव कहा जाता था। यहां पर 1962 से लेकर 2002 तक करीब डेढ़ दर्जन शिक्षक सेवानिवृत्त हुए थे। इतने ही शिक्षक वर्तमान में कार्यरत हैं। गांव के प्यारेलाल वर्मा सीआरपीएफ में पुलिस अधीक्षक के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। गांव के सवाईसिंह मालावत सूचना एवं जनसम्पर्क अधिकारी तथा लोकपाल रह चुके। गांव के सुरेन्द्र महण थानाधिकारी हैं। गांव में फौज, पुलिस समेत अन्य राजकीय विभागों में भी युवा सेवारत है।
मोरों के कुएं से होती थी पानी की आपूर्ति
गांव में मनसुख राम मोर की ओर से पेयजल के लिए कुआं बनवाया गया था। इसी कुएं से गांव में रहने वाले लोगों को पेयजल की आपूर्ति होती थी। यह कुआं आज भी गांव में मौजूद है। इसके अलावा गांव में बना इच्छापूर्णबालाजी मंदिर, प्राचीन शिवजी का मंदिर भी लोगों की आस्था केन्द्र है।
ये हैं गांव की समस्याएं
सुभाष बुगालिया ने बताया कि गांव में कईमूलभूत सुविधाओं का अभाव है। गांव के विभिन्न मोहल्लों में नालियां नहीं बनी होने के कारण घरों से निकलने वाला गंदा पानी आम रास्तों में जमा रहता है। वहीं गांव की राजकीय प्राथमिक स्कूल को वर्षों बीतने के बाद भी क्रमोन्नति का इंतजार है। गांव में पशु चिकित्सालय भी नहीं है। पशुपालकों को अपने पशुओं के उपचार के लिए नवलगढ़ आना पड़ता है।

