सांसद बृजेंद्र ओला ने चुनाव प्रचार के दौरान नुक्कड़ सभा में कहा कि ‘मेरा परिवार चुनाव नहीं लड़ना चाहता था, लेकिन पार्टी ने उनकी बात नहीं मानी और टिकट दे दी।’ वहीं, उन्होंने लोकसभा चुनाव-2024 के दौरान भी यही कहा था कि ‘मैं लोकसभा के टिकट के लिए मना करके आया था लेकिन पार्टी ने आदेश दिया और कहा कि पार्टी संकट में है, तो मैंने कहा जरूर लड़ेंगे।’ जिसके बाद बृजेंद्र ओला झुंझुनूं से सांसद बनकर लोकसभा पहुंचे।
झुंझुनूं में फंसी बाजी या फिर रणनीति?
बृजेंद्र ओला की ओर से दिए गए इस बयान को रणनीति के तहत माना जा रहा है। क्योंकि लोकसभा चुनाव के समय भी उन्होंने इसी तरह का बयान दिया था। सियासी जानकारों का मानना है कि ओला कि यह नीति इस बार काम आती नहीं दिख रही है। दरअसल, इस बार बृजेंद्र ओला का बयान झुंझुनूं में फंसी हुई बाजी की ओर इशारा कर रहा है।
देखने मिलेगा रोचक मुकाबला!
कांग्रेस प्रत्याशी अमित ओला और भाजपा के राजेन्द्र भाबूं के बीच के मुकाबले को पूर्व मंत्री राजेन्द्र गुढ़ा ने निर्दलीय चुनावी मैदान में उतरकर रोचक और त्रिकोणीय बना दिया है। कांग्रेस का आरोप है कि गुढ़ा भाजपा की बी टीम हैं।