हर बार यहां भाजपा का कोई ना कोई बागी खड़ा हो जाता है। बाद में बागियों को पार्टी में भी शामिल कर लिया जाता है। बागी बढ़ने का एक कारण यह भी है कि पिछले दो चुनाव में जिसने भी पार्टी की बगावत की, वह अगली बार भाजपा का टिकट लेकर आ गया। यहां से कांग्रेस नेता बृजेन्द्र ओला विधानसभा के लगातार चार चुनाव जीत चुके। अभी उनके सांसद बनने यह सीट खाली हुई है। ओला से पहले उनके पिता शीशराम ओला भी यहां से कई बार विधायक व मंत्री रह चुके।
भाजपा ने दिए टिकट, कांग्रेस ने खोले पत्ते
झुंझुनूं सीट से भाजपा ने टिकट दे दिया है। यहां से भाजपा ने राजेन्द्र भांबू को टिकट दिया है। टिकट वितरण के साथ ही बगावत भी तेज हो गई है। यहां से भाजपा के पिछले चुनाव के उम्मीदवार निषीत चौधरी बबलू ने बगावत का झंडा उठा लिया है। वे नामांकन भरने की तैयारी में हैं। भाजपा इस सीट पर वर्ष 2003 में जीती थी। यहां कांग्रेस का दबदबा रहा है। भाजपा की बगावत और कांग्रेस का गढ़ होने के कारण यह सीट निकालना भाजपा के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाना होगा।
दूसरा उप चुनाव
झुंझुनूं विधानसभा क्षेत्र में यह दूसरा उप चुनाव है। पहला उप चुनाव तत्कालीन विधायक शीशराम ओला के सांसद बनने के बाद हुआ था। जबकि दूसरा उप चुनाव शीशराम के बेटे बृजेन्द्र ओला के सांसद बनने के कारण हो रहा है। पहले जब उप चुनाव हुए थे तब राज्य में भाजपा की सरकार थी, जीत भी भाजपा के डॉ मूलसिंह शेखावत को मिली थी।यह भी संयोग
झुंझुनूं ऐसा विधानसभा क्षेत्र है जहां से राजस्थान के पहले विधानसभाध्यक्ष बने। पंडित नरोत्तम लाल जोशी राजस्थान के पहले विधानसभा अध्यक्ष थे। वे झुंझुनूं से जीतकर बने थे, वहीं राजस्थान की पहली महिला विधानसभा अध्यक्ष सुमित्रा सिंह रही है, वे भी झुंझुनूं से जीतकर ही इस पद पर पहुंची है।