झुंझुनूं. तेजी से बढ़ते साइबर अपराध को लेकर झुंझुनूं में पुलिस सक्रिय हो गई है। पुलिस अधीक्षक मृदुल कच्छावा ने लोगों को साइबर ठगी से बचाने के लिए जिले भर में जागरुकता अभियान शुरू किया है। पुलिस जिले के स्कूल, कॉलेजों के साथ सीएलजी, विभिन्न संगठनों के साथ सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों को साइबर अपराध से बचने के लिए जागरूक करेगी।
एसपी कच्छावा ने बताया कि एक माह तक चलने वाले इस अभियान को लेकर जिले के थानाधिकारियों को निर्देश जारी कर दिए गए हैं। उनका मानना है कि इस तरह के अपराध में ठगी का शिकार होने के बाद व्यक्ति पुलिस के पास भी देरी से पहुंचता है।
सामाजिक प्रतिष्ठा को बचाने के लिए व्यक्ति लाखों रुपए की ठगी का शिकार हो जाता है। एसपी का जिले की जनता को संदेश है कि यदि कोई व्यक्ति इस तरह की परिस्थिति में फंस भी जाता है तो हिम्मत से परिस्थिति का सामना करें। ब्लैक-मेलर के झांसे में आकर उसकी किसी भी बात को तवज्जो नहीं दें। बिना देर किए जल्द इसकी जानकारी पुलिस को दें , और बदनामी को लेकर डरे नहीं।
बढ़ रहे हैं साइबर ठगी के मामले
देश एवं प्रदेश में साइबर ठगी के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। झुंझुनूं में भी इस तरह के मामले सामने आ चुके हैं। सोशल मीडिया के मार्फत युवाओं से लड़की बनकर दोस्ती कर वीडियो कॉल पर गलत फिल्म दिखा कर अश्लील वीडियो बनाने से लेकर ब्लैकमेल करने के कई मामले इन दिनों सामने आ रहे हैं।। जागरुकता से ही इस तरह की ठगी से बचा जा सकता है।
देश एवं प्रदेश में साइबर ठगी के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। झुंझुनूं में भी इस तरह के मामले सामने आ चुके हैं। सोशल मीडिया के मार्फत युवाओं से लड़की बनकर दोस्ती कर वीडियो कॉल पर गलत फिल्म दिखा कर अश्लील वीडियो बनाने से लेकर ब्लैकमेल करने के कई मामले इन दिनों सामने आ रहे हैं।। जागरुकता से ही इस तरह की ठगी से बचा जा सकता है।
इस तरह बनाते हैं शिकार
पुलिस के साइबर क्राइम रिकॉर्ड के अनुसार आरोपी सोशल मीडिया साइट के जरिए अपने शिकार को चुनते हैं। उससे पहले मैसेज पर बातचीत की जाती है फिर लड़की बन कर कामुकता भरे संदेश भेजे जाते हैं। इसके बाद वीडियो कॉल से ठगी की शुरुआत होती है। गिरोह के लोग पीडि़त को वीडियो दिखाते हैं, जो पहले से उनके फोन में होता है। इस दौरान व्यक्ति केा लगता है कि वह वास्तव में किसी युवती से बात कर रहा है।
पुलिस के साइबर क्राइम रिकॉर्ड के अनुसार आरोपी सोशल मीडिया साइट के जरिए अपने शिकार को चुनते हैं। उससे पहले मैसेज पर बातचीत की जाती है फिर लड़की बन कर कामुकता भरे संदेश भेजे जाते हैं। इसके बाद वीडियो कॉल से ठगी की शुरुआत होती है। गिरोह के लोग पीडि़त को वीडियो दिखाते हैं, जो पहले से उनके फोन में होता है। इस दौरान व्यक्ति केा लगता है कि वह वास्तव में किसी युवती से बात कर रहा है।
फिर मांगते हैं पैसे
गिरोह के लोग एक एप के माध्यम से युवती की आवाज में बात करते हैं। इसी दौरान पीडि़त का वीडियो रिकार्ड कर लिया जाता है। दूसरे चरण में गिरोह के लोग कॉल की स्क्रीन रिकॉर्डिंग को सोशल मीडिया पर भेजने की धमकी देकर पैसों की वसूली करना शुरू करते हैं। सामाजिक प्रतिष्ठा बचाने के लिए व्यक्ति गिरोह के चंगुल में फंस जाता है। वह गिरोह के लोगों को पैसे देने लगता है। पैसा नहीं देने पर डीपी पर पुलिस की वर्दी की फोटो लगाकर पीडि़त को धमकाया जाता है। इससे डरकर वह पैसा देकर समझौता कर लेता है।
गिरोह के लोग एक एप के माध्यम से युवती की आवाज में बात करते हैं। इसी दौरान पीडि़त का वीडियो रिकार्ड कर लिया जाता है। दूसरे चरण में गिरोह के लोग कॉल की स्क्रीन रिकॉर्डिंग को सोशल मीडिया पर भेजने की धमकी देकर पैसों की वसूली करना शुरू करते हैं। सामाजिक प्रतिष्ठा बचाने के लिए व्यक्ति गिरोह के चंगुल में फंस जाता है। वह गिरोह के लोगों को पैसे देने लगता है। पैसा नहीं देने पर डीपी पर पुलिस की वर्दी की फोटो लगाकर पीडि़त को धमकाया जाता है। इससे डरकर वह पैसा देकर समझौता कर लेता है।
प्रोफाइल रखें लॉक
साइबर अपराध विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के ब्लैक-मेलरों से सावधान रहने के लिए सोशल मीडिया पर अपनी प्रोफाइल लॉक रखें, अनजान नंबर से आने वाले वीडियो कॉल को अटेंड ना करें, अपनी निजी फोटो या इंफॉर्मेशन सोशल मीडिया पर प्राइवेट रखें, सोशल मीडिया पर अपना अकाउंट प्राइवेट रखें।
साइबर अपराध विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के ब्लैक-मेलरों से सावधान रहने के लिए सोशल मीडिया पर अपनी प्रोफाइल लॉक रखें, अनजान नंबर से आने वाले वीडियो कॉल को अटेंड ना करें, अपनी निजी फोटो या इंफॉर्मेशन सोशल मीडिया पर प्राइवेट रखें, सोशल मीडिया पर अपना अकाउंट प्राइवेट रखें।