झुंझुनू

Rajasthan के इस जिले में चलती है शिक्षा की रेल, खेल-खेल में पढ़ते हैं बच्चे, जानिए अनोखे स्कूल के बारें में

सरकारी विद्यालयों में नामांकन बढ़ाने व विद्यार्थियों को शिक्षा के प्रति जुड़ाव के लिए विद्यालय प्रबंधन भामाशाहों के सहयोग से नवाचार कर रहे हैं।

झुंझुनूJun 22, 2023 / 05:25 pm

Nupur Sharma

दुलचास के स्कूल में रेल गाड़ी जैसे दिख रहे कक्षा-कक्ष

झुंझुनू/बिसाऊ। सरकारी विद्यालयों में नामांकन बढ़ाने व विद्यार्थियों को शिक्षा के प्रति जुड़ाव के लिए विद्यालय प्रबंधन भामाशाहों के सहयोग से नवाचार कर रहे हैं। ऐसा ही नवाचार मंडावा पंचायत समिति भीखनसर पंचायत के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय दुलचास में किया गया है। यहां विद्यालय में धोरों के बीच रेल के डिब्बों के जैसा रंगरोगन कर रेलवे स्टेशन का सा रूप दिया गया है। इससे विद्यालय को दूर से देखने पर ऐसा प्रतीत होता है कि मानो रेलवे स्टेशन पर ट्रेन खड़ी है। रेलवे स्टेशन की तरह नामकरण भी किए गए हैं। प्रधानाध्यापक कार्यालय को इंजन का रूप दिया गया है तथा नौ कमरों को डिब्बों की तरह सजाया गया है। इसमें एक कमरे में आगंनबाडी़ संचालित है।


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भामाशा का मिला सहयोग
प्रधानाध्यापक संदीप चाहर व विद्यालय स्टाफ ने विद्यालय सौंदर्यीकरण एवं आकर्षक बनाने के लिए अनूठी पहल की। उन्होंने भामाशाह एवं विद्यालय विकास प्रबंधन समिति के सहयोग से विद्यालय भवन को रेल गाड़ी का लुक दिया है। यह एजुकेशनल ट्रेन विद्यार्थियों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी है।

 

 

सेल्फी ले रहे हैं बच्चे
पेंटर विष्णु नायक ने बताया कि विद्यालय में कमरों की दीवार पर रेलगाड़ी के मुंह बोलते चित्र बनाए गए हैं। ग्रामीण बच्चे यहां रोज सेल्फी ले रहे हैं और अपने परिवार-मित्रों को भेज रहे हैं।

मेहनत लाई रंग
वर्तमान में यह विद्यालय कक्षा 1 से 8 तक संचालित है, विद्यालय में 65 नामांकन है। वहीं 5 अध्यापक कार्यरत हैं। प्रधानाध्यापक संदीप चाहर भूतपूर्व सैनिक हैं। जनवरी 23 में ही उन्होंने यहां कार्यग्रहण किया है। पुरे ग्रीष्मावकाश में विद्यालय आकर उन्होंने इस विद्यालय की सूरत बदलने का कार्य किया है। विद्यालय मैदान में दूब घास एवं पौधों से वाटिका बनाई जा रही है जो विद्यालय की सुंदरता को चार चांद लगा रही है। वहीं विद्यालय परिसर में ओपन जिम, वाटर कूलर, शौचालय बनाया गया है। विद्यालय का रंग रोगन करने में अध्यापिका अनीता देवी जो मई में सेवानिवृत्त हुई हैं, उन्होंने 51000 रुपए का सहयोग किया। इसके अलावा गांव के भामाशाह व स्टाफ ने मिलकर सहयोग किया है।


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इनका कहना है
सरकारी स्कूलों से लोग दूर भागते हैं, उन्हें लगता है कि यहां पढ़ाई नहीं होती है। इसी सोच को बदलने में हम लगे हैं। अब लोगों की सोच बदल भी रही है। विद्यालय को ट्रेन का लुक देने का उद्देश्य विद्यार्थियों में पढ़ाई के प्रति उत्सुकता एवं शैक्षिक माहौल पैदा करना है। कई अभिभावकगण इस नवाचार को देखने के लिए विद्यालय आ रहे हैं।-संदीप चाहर, प्रधानाध्यापक

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