झुंझुनू

राजस्थान में यहां धरती उगलती है तांबा, बिछी हैं भूमिगत रेल पटरियां

यहां की धरती तांबा उगलती है। हर दिन बड़ी मात्रा में ताम्बा निकाला जा रहा है। खेतड़ी ने कभी भारत को ताम्बे में आत्मनिर्भर बना दिया था।

झुंझुनूNov 08, 2022 / 02:48 pm

Kamlesh Sharma

यहां की धरती तांबा उगलती है। हर दिन बड़ी मात्रा में ताम्बा निकाला जा रहा है। खेतड़ी ने कभी भारत को ताम्बे में आत्मनिर्भर बना दिया था।

झुंझुनूं। ताम्बा उत्पादन में झुंझुनूं जिला राजस्थान में नंबर वन है। यहां की धरती तांबा उगलती है। हर दिन बड़ी मात्रा में ताम्बा निकाला जा रहा है। खेतड़ी ने कभी भारत को ताम्बे में आत्मनिर्भर बना दिया था। वर्तमान में यहां की जमीन से करीब 370 मीटर नीचे खनन हो रहा है। जहां भूमिगत रेल पटरियां बिछी हुई हैं। केसीसी में अब माइनिंग व कंस्ट्रक्टर प्लांट को छोड़कर बाकी के प्लांट अन्य जगहों पर स्थानांतरित कर दिए। अब यहां कच्चा माल निकलता है। उसे ट्रकों में भरकर अलग-अलग जगह रिफाइनरियों में भेज दिया जाता है।

इतिहास
वर्ष 1975 से पहले रूस, चीन व अन्य देशों से भारत तांबा मंगवाता था, तब खेतडीनगर में तांबे के स्मेल्टर प्लांट की स्थापना हुई। हर माह यहां औसत साढ़े तीन हजार टन शुद्ध तांबे की सिल्लियां तैयार हो जाती थीं। यह सिलसिला 23 नवम्बर 2008 तक चला। तांबे में भारत आत्मनिर्भर होने लगा। तांबे की खोज यहां वर्ष 1960 से पहले से हो रही थी। तब यहां की खानें जूलोजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के अधीन थीं। हिन्दुस्तान कॉपर लिमिटेड (एचसीएल) की स्थापना के बाद 9 नवंबर 1967 को खानें एचसीएल के अधीन आ गईं। तांबे का खनन तेज हुआ। एचसीएल की यूनिट खेतड़ी कॉपर कॉम्पलेक्स (केसीसी) की स्थापना हुई। पांच फरवरी 1975 से तांबे का उत्पादन शुरू कर दिया गया। इस दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी यहां आईं थीं। उन्होंने यह प्लांट देश को समर्पित किया था। तब हर माह करीब साढ़े तीन हजार टन शुद्ध तांबे का उत्पादन होता था। करीब 11 हजार नियमित कर्मचारी-अधिकारी कार्यरत थे।

यह भी पढ़ें

जूते सिलने वाला दुनिया से लड़ बेटियों को बना रहा डॉक्टर

यहां हैं ताम्बे के भंडार
खेतड़ीनगर, कोलिहान, सिंघाना, खेतड़ी, बनवास, चांदमारी, धानी बासरी, बनीवाला की ढाणी, ढोलामाला, अकवाली, पचेरी, रघुनाथगढ़, माकड़ो, बागेश्वर, खरखड़ा, श्यामपुरा भिटेरा, जसरापुर, मुरादपुर व भोदन इश्कपुरा।

एक्सपर्ट का कहना है कि यहां अगले सौ साल तक के लिए तांबे के भंडार हैं। नई तकनीक से खुदाई की जाए तथा नई तकनीक के प्लांट लगाए जाएं, तो धरती फिर से ताम्बे के भंडार भर सकती है। वर्तमान में कोलिहान व बनवास खान से तांबे का खनन हो रहा है।

यह भी पढ़ें

Kinnow Farming: मुनाफे की खेती, एक पेड़ से मिल रहे हजार रुपए के किन्नू

फैक्ट फाइल
तांबा मिला: करीब तीन हजार वर्ष पहले
तांबे की अधिकृत खोज: 1960 से पहले
शुद्ध तांबे का उत्पादन शुरू हुआ: 5 फरवरी 1975

कहां कितना प्रतिशत तांबा
खेतड़ी: 1.13 फीसदी
कोलिहान: 1.35 फीसदी
बनवास: 1.69 फीसदी
चांदमारी: 1.03 फीसदी

Hindi News / Jhunjhunu / राजस्थान में यहां धरती उगलती है तांबा, बिछी हैं भूमिगत रेल पटरियां

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.