झुंझुनू

Jhunjhunu News: गोबर की ताकत से जल रहे चूल्हे, बन रही बिजली, हर माह हजारों रुपए की बचत

स्वच्छ भारत मिशन के पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर गोबर से गैस बनाई जा रही है। खास बात यह है कि गोबर गैस से ना केवल रसोई में भोजन बनाया जा रहा है, बल्कि बिजली भी बनाई जा रही है।

झुंझुनूDec 01, 2024 / 09:35 pm

Suman Saurabh

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झुंझुनूं। गोबर की ताकत जिले की गोशालाओं को दोहरा फायदा दे रही है। गोबर से गैस बनाने के छोटे गैस प्लांट तो कई जगह लगे हुए हैं। भोड़की गांव में बड़े स्तर पर प्लांट चल रहा है। अब पच्चीस नवम्बर से कंवरपुरा बालाजी गोशाला में भी स्वच्छ भारत मिशन के तहत नया बायो गैस प्लांट शुरू हुआ है। प्लांटों से गोबर का दोहरा उपयोग हो रहा है। लकड़ी नहीं जलाने से पर्यावरण को फायदा हो रहा है। सिलेंडर पर होने वाला खर्चा बच रहा है। वहीं बचा हुआ अपशीष्ट पदार्थ खेती में खाद के रूप में काम आ रहे हैं। अब तो बिजली भी बनने लगी है।

हर दिन 21 किलो गैस

सरकार की गोवर्धन परियोजना के तहत कामधेनू गोशाला समिति कंवरपुरा बालाजी में 25 नवम्बर से गैस प्लांट शुरू हुआ है। स्वच्छ भारत मिशन के पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर यहां गोबर से गैस बनाई जा रही है। खास बात यह है कि गोबर गैस से ना केवल रसोई में भोजन बनाया जा रहा है, बल्कि बिजली भी बनाई जा रही है। इससे जनरेटर चलाया जा रहा है। इस गैस से गायों के लिए बांटा, दलिया, लापसी बनाया जा रहा है। पानी गर्म किया जा रहा है। गोशाला समिति के हरफूल सिंह ने बताया कि यह तो शुरुआत है।
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भोड़की में हर माह बच रहे पंद्रह हजार

जमवाय ज्योति गोशाला समिति भोड़की में बायोगैस प्लांट लगा हुआ है। समिति के सचिव कैलाश डूडी ने बताया कि यहां गायों के लिए बनने वाले बांटे व लापसी के लिए पहले लगभग पंद्रह हजार रुपए की गैस खर्च होती थी। अन्य ईंधन भी काम लिया जाता था। अब हर माह पंद्रह हजार से ज्यादा की बचत इस गैस प्लांट से हो रही है। यह पूरा प्लांट दानदाताओं के सहयोग से बनाया गया है। अब इससे बिजली उत्पादन का कार्य भी किया जाएगा। इस गोशाला को हाल ही जिले की गोशालाओं में पहला स्थान भी मिला है।

राजस्थान में सात प्लांट तैयार

गोवर्धन परियोजना के तहत अजमेर, सिरोही, चूरू जिले के सालासर व अन्य जगह करीब सात प्लांट चालू हो गए हैं। इसमें साठ फीसदी राशि केन्द्र सरकार व चालीस फीसदी राशि राज्य सरकार दे रही है।

जानें कैसे काम करता है बायो गैस प्लांट

एक टैंक में तय मात्रा में गोबर, पानी, गुड व अन्य पदार्थ डालते हैं। गर्म होने पर इसमें गैस बनती है। शुरुआत में गैस बनने में करीब पंद्रह दिन लगते हैं। इसके बाद हर दिन गोबर डालते रहते हैं और गैस बनती रहती है। गैस पाइप से रसोई में पहुंचती है। बायो गैस में मुख्यतया मिथेन, कार्बनडाई ऑक्साइड व अन्य गैस पाई जाती है।
इनका कहना है: स्वच्छ भारत मिशन के पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर गोवर्धन परियोजना में कामधेनू गोशाला समिति कंवरपुरा बालाजी में 47.97 लाख रुपए की लागत से बायो गैस प्लांट की 25 नवम्बर को टेस्टिंग कर दी गई है। इससे फिलहाल हर दिन 21.18 किलो गैस व बिजली बनने लगी है। यह शुरुआत है। राजस्थान के अन्य जिलों में भी ऐसे प्लांट बनाए जा रहे हैं। -सुमन चौधरी, जिला समन्वयक, स्वच्छ भारत मिशन
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