दरअसल, झुंझुनूं जिले के सबसे बड़े सरकारी हॉस्पिटल भगवान दास खेतान में गुरुवार दोपहर को एक मूक बधिर युवक को उपचार के लिए लाया गया था, लेकिन डॉक्टर्स ने उसे कुछ मिनटों में मृत घोषित कर दिया। इसके बाद उसे अस्पताल की मोर्चरी के डीप फ्रीज में भी रखवा दिया। दो घंटे बाद पोस्टमार्टम कर पंचनामा भी बनाया गया। शाम को अंतिम संस्कार के वक्त अचानक युवक की सांसें चलने लगी। यह देख हर कोई हैरान हो गया। इसके बाद उसे पहले बीडीके और बाद में जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल ले जाया गया। लेकिन, रास्ते में ही युवक की मौत हो गई। अस्पताल अधीक्षक डॉ. सुशील भाटी ने रोहिताश की मौत की पुष्टि की है। जानें क्या है पूरी कहानी?
क्या रोहिताश का पोस्टमार्टम हुआ या नही?
घटनाक्रम में सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि राजकीय भगवान दास खेतान अस्पताल में रोहिताश का पोस्टमार्टम हुआ कि नहीं। अगर पोस्टमार्टम हुआ है तो वह जिंदा कैसे हो गया। अगर पोस्टमार्टम नहीं हुआ है तो पोस्टमार्टम किया गया, यह कैसे मान लिया गया। यह भी बताया जा रहा है कि बिना पोस्टमार्टम के ही कह दिया गया हो कि पोस्टमार्टम हो गया, मरीज को ले जाओ। जिस अस्पताल के डॉक्टरों ने युवक मृत माना। हालांकि, पोस्टमार्टम रिपोर्ट नम्बर 223 के पहले पेज पर 1.50 मिनट पर मौत होना बताया गया है। वहीं नीचे की तरफ अंतिम कॉलम में रिमार्क ऑफ मेडिकल ऑफिसर में डॉक्टर की ओपीनियन लिखी हुई है। इसमें फेफड़े फेल होना तथा सीओपीडी या टीबी की बीमारी से मौत होना बताया गया है। बीडीके अस्पताल में जिंदा आदमी की पोस्टमार्टम रिपोर्ट मेडिकल ज्यूरिस्ट डॉ. नवनीत ने बनाई थी। यह भी पढ़ें
जिंदा आदमी का किया पोस्टमार्टम, डीप फ्रीजर में रखा, दाह संस्कार के लिए चिता पर लेटाया तो चलने लगी सांसें
सर्दी में डीप फ्रीजर में रख दिया युवक को, जानें पूरा मामला
झुंझुनूं के मां सेवा संस्थान के आश्रय गृह में रहने वाले विमंदित रोहिताश्व (25) की गुरुवार दोपहर तबीयत बिगड़ के बाद बीडीके अस्पताल लाया गया। जहां दोपहर करीब डेढ़ बजे डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। उसे अस्पताल की मोर्चरी के डीप फ्रीज में भी रखवा दिया। सर्दी के मौसम में जिंदा युवक को करीब दो घंटे तक मोर्चरी के डीप फ्रीजर में रखा गया। अंदाजा लगाया जा सकता है कि डीप फ्रीजर में वह कुछ देर और रहता तो क्या हो जाता। यह भी हो सकता है कि डीप फ्रीजर ही खराब हो, इस कारण युवक की जान बची रह गई। इसके दो घंटे बाद पोस्टमार्टम कर पंचनामा भी बनाया गया। डॉक्टरों ने मृत मानकर व्यक्ति को संस्थान को सौंप दिया। संस्था के लोगों ने श्मशान में जब उसको चिता रखा तो उसकी सांसें चलने लगीं। उसके शरीर में हरकत देखकर वहां मौजूद लोग हैरान हो गए। इसके बाद उसे तुरंत एंबुलेंस से अस्पताल लाया गया। लेकिन, बीडीके अस्पताल में तबीयत बिगड़ने के बाद जयपुर रैफर किया गया। हालांकि, रास्ते में ही युवक की मौत हो गई। इसके बाद झुंझुनूं के सरकारी अस्पताल की मोर्चरी में युवक के शव को रखवाया गया।