रेलवे में रहे टेक्नीशियन गुरुद्वारा नगरा निवासी दिनेश बैस यहां रेलवे वर्कशाप में टेक्नीशियन के पद पर रहे। रेलवे से सेवानिवृत्ति के बाद उन्होंने अपनी लेखनी से व्यवस्थाओं पर चोट करनी शुरू किया। इसके लिए वह अखबार में कॉलम भी लिखते रहे। परिजनों के अनुसार उनकी तबीयत खराब होने पर उनको रेलवे अस्पताल ले जाया गया। वहां स्थिति नाजुक नजर आने पर प्राइवेट अस्पताल रेफर कर दिया गया। यहां उन्होंने गुरुवार को दोपहर बाद अंतिम सांस ली। इसकी सूचना भोपाल में नौकरी करने वाले उनके बेटे शिशिर और कानपुर में रहने वाली बेटी ने दी। साथ ही परिवार के लोग उनके पार्थिव शरीर को लेकर घर आ गए। यहां पर उनके अंतिम संस्कार की तैयारी की जाने ली।
बेटे ने बताया पिता की अंतिम इच्छा के बारे में इसी बीच उनका बेटा शिशिर भोपाल से घर पहुंच गया। यहां पर उसने पिता की अंतिम इच्छा के बारे में घर में जुटे नाते-रिश्तेदारों को बताया। बेटे ने बताया कि उनके पिता ने जीवित अवस्था में अपनी देह को मेडिकल कालेज को दान देने का निर्णय ले लिया था। इस संबंध में एक पत्र भी उन्होंने मेडिकल कालेज प्रशासन को दिया था।
नाते-रिश्तेदार नहीं थे सहमत बेटे से यह जानकारी होने के बावजूद उनके नाते-रिश्तेदार इस बात से सहमत नहीं थे। उन्होंने इसे धार्मिक मान्यताओँ के खिलाफ बताते हुए तमाम तरह के तर्क-वितर्क किए। इसके बावजूद दिनेश बैस के बेटे और पत्नी ने उनकी अंतिम इच्छा को पूरा करने का निर्णय लिया। इसके लिए उन्हें काफी सामाजिक उलाहने भी सुनने पड़े। इस सबके बावजूद उनके परिजनों ने किसी की एक नहीं सुनी। शाम को उन्होंने पूरे सम्मान के साथ दिनेश बैस के पार्थिक शरीर को मेडिकल कालेज प्रशासन के सुपुर्द कर दिया।