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झांसी

जैन मुनि तरुण सागर के निधन से शोक, 400 किलोमीटर दूर चातुर्मास कार्यक्रम में मौन श्रद्धांजलि

जैन मुनि तरुण सागर के निधन से शोक, 400 किलोमीटर दूर चातुर्मास कार्यक्रम में मौन श्रद्धांजलि

झांसीSep 01, 2018 / 12:15 pm

BK Gupta

jain muni tarun sagar died

जैन मुनि तरुण सागर के निधन से शोक, 400 किलोमीटर दूर चातुर्मास कार्यक्रम में मौन श्रद्धांजलि

झांसी। जैन मुनि तरुण सागर महाराज के निधन की खबर फैलते ही देशभर में उनके अनुयाइयों और समाज के लोगों में शोक छा गया। जगह-जगह श्रद्धांजलि दी गई। उनके दिल्ली के चातुर्मास स्थल से करीब 400 किलोमीटर दूर झांसी में भी करगुवां जैन मंदिर में जैन महिला संत आर्यिका पूर्णमति माता के चातुर्मास कार्यक्रम में आयोजित धर्मसभा में उनको मौन श्रद्धांजलि दी गई। इस अवसर पर आर्यिका माता ने इतना भर कहा कि उनकी प्रवचन शैली ने उन्हें विश्व प्रसिद्ध बना दिया।
तड़के 3.18 बजे ली अंतिम सांस
मूलरूप से मध्यप्रदेश के दमोह में जन्मे तरुण सागर 14 वर्ष की उम्र में ही घर छोड़कर संतों के साथ हो लिए। उन्होंने जैन मुनि पुष्पदंत सागर महाराज से दीक्षा ली। शनिवार तड़के 3.18 बजे जैन मुनि तरुण सागर ने 51 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। उन्होंने दिल्ली के शाहदरा के कृष्णानगर में ऱाधापुरी में अंतिम सांस ली। शनिवार सुबह 3:18 बजे अंतिम सांस ली। दरअसल, उन्हें पीलिया हुआ था, जिसके बाद उन्हें दिल्ली के ही एक निजी अस्पताल में उपचार के लिए भर्ती कराया गया था। बताया जा रहा है उन पर दवाओं का असर होना बंद हो गया था। इसके बाद जैन मुनि ने इलाज कराने से भी इनकार कर दिया था और कृष्णानगर स्थित राधापुरी जैन मंदिर चातुर्मास स्थल पर जाने का निर्णय लिया। जैन मुनि तरुण सागर का अंतिम संस्कार दोपहर 3 बजे दिल्ली मेरठ हाइवे स्थित तरुणसागरम तीर्थ पर होगा।
छत्तीसगढ़ में ली थी दीक्षा
अपने कड़वे प्रवचनों के लिए जाने गए जैन मुनि तरुण सागर का जन्‍म मध्य प्रदेश के दमोह में 26 जून, 1967 को हुआ था। उनका असली नाम पवन कुमार जैन था। उनकी मां का नाम शांतिबाई और पिता का नाम प्रताप चंद्र था। तरुण सागर ने आठ मार्च, 1981 को घर छोड़ दिया था। इसके बाद उन्होंने छत्तीसगढ़ में दीक्षा ली।
समाज की अपूर्णीय क्षति
जैन मुनि और राष्ट्रीय संत तरुण सागर महाराज के निधन की खबर मिलने पर श्रद्धांजलि दी गई। जैन सोशल ग्रुप के प्रदेश मंत्री संजय जैन कर्नल ने कहा कि जैन मुनि तरुण सागर महाराज के निधन से समाज की अपूर्णीय क्षति हुई है। हालांकि, उनके प्रवचन लोगों को नई दिशा देते रहेंगे।

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