43 स्मारक किसी भी स्तर पर संरक्षित नहीं झांसी में 21, ललितपुर में 73 और जालौन में 9 ऐतिहासिक स्मारक एएसआई संरक्षित है। वहीं, झांसी में 14 और ललितपुर में 22 ऐतिहासिक स्मारक राज्य पुरातत्व विभाग संरक्षित है। इसके अलावा झांसी में 8, ललितपुर में 6 और जालौन में 29 ऐतिहासिक स्मारक किसी भी स्तर पर संरक्षित नहीं है। ऐसे सभी स्थलों को स्थानीय व्यक्तियों, ग्राम पंचायतों, नगर निकायों, उद्यमियों, संस्थानों एवं अन्य शासकीय योजनाओं से लिंक कर इन्हें संरक्षित किया जाएगा। इसके लिए अभियान चलाकर ऐसे धरोहर स्थलों पर बुनियादी सुविधाओं के विकास एवं रखरखाव के लिए जमीनी स्तर पर कार्य किए जाएंगे।
यह भी पढ़ें – हत्या या आत्महत्या! 10 वर्षीय बच्चे की मौत बनी अनसुलझी गुत्थी, निर्माणाधीन घर पर मिला शव स्मारक की साफ सफाई का रखना होगा ध्यान संबंधित ग्राम पंचायत के सचिव व प्रधान ऐतिहासिक स्थल के संरक्षण और विकास संबंधी कार्ययोजना तैयार कराएंगे। स्मारक परिसर के विकास कार्यों को राज्य पुरातत्व विभाग के मार्गदर्शन में निर्धारित नीति के अनुरूप किया जाएगा। पशुओं के प्रवेश को रोकने के लिए तार फेंसिंग या चारदीवारी का निर्माण होगा। परिसर में पेयजल की व्यवस्था की जाएगी और पौधे लगाए जाएंगे। विकास कार्यों के वित्त पोषण के लिए सीएसआर फण्ड, माइनिंग फण्ड, क्षेत्र, ग्राम, नगर, जिला पंचायतों में उपलब्ध धनराशि के प्रस्ताव तैयार होंगे।
यह भी पढ़ें – नुपूर शर्मा के बयान से मचे बवाल के बीच बोले विवेक अग्निहोत्री, ‘ये इरान या इराक नहीं…धिक्कार है चुप रहने वालों पर’ इस बारे में झांसी कमिश्नर डॉ. अजय शंकर पांडेय ने कहा कि हमारे सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक स्मारक जो आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया या राज्य की सूची में दर्ज हैं, वे तो संरक्षित हैं लेकिन बुंदेलखंड के झांसी मंडल में अनेक ऐसी इमारतें, भवन, मीनार, झील, पहाड़ियां हैं जो किसी शासकीय योजना से संरक्षित नहीं है। ऐसी धरोहर को संरक्षित करने के लिए स्थानीय स्तर पर पहल करने की आवश्यकता थी। इसलिए ऐतिहासिक स्थलों के संरक्षण हेतु गठित पर्यटन एवं स्थल ऐतिहासिक स्थल समिति की बैठक में ऐसी स्मारकों की संरक्षा के लिए नीति बनाई गई। हमारा प्रयास है कि ऐसे सभी स्थल इस रूप में विकसित हों, ताकि अगली पीढ़ी हमारे गौरवशाली इतिहास से परिचित हो सकें।